सौरव पाल/मथुरा: वृन्दावन की नगरी को भगवान कृष्ण की नगरी कहा जाता है. इसके साथ ही वृन्दावन को संतों और कथा प्रवक्ताओं की भी नगरी कहा जाता है. यहां कई ऐसे प्रवक्ता हैं जिनकी वाणी सुनने के लिए उनके भक्त हमेशा तैयार रहते हैं. केवल देश में ही नहीं, बल्कि उनके अनुयायी पूरे विश्व भर में पूरी श्रद्धा भाव से उनके द्वारा सुनाई गई श्रीमद्भागवत और अनेक प्रकार की कथाओं का श्रवण करते हैं. ऐसे ही एक प्रसिद्ध कथा प्रवक्ता और वृन्दावन के सप्त देवालयों मंदिरों में से एक मंदिर के सेवायत हैं श्री पुंडरीक गोस्वामी जिन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की पढ़ाई छोड़ कथा करना शुरू किया.
पुंडरीक गोस्वामी ने बताया कि वह ख़ुद को बड़े सौभाग्यशाली मानते है कि उनका जन्म एक ब्रजवासी के रूप में हुआ और उसमे भी एक गोस्वामी परिवार में. जिन्हें ब्रज के महान मंदिरों की सेवा का अधिकार प्राप्त है.उन्होंने कहा, ‘राधारमण मंदिर के विग्रह के चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी जी ने सर्वप्रथम प्रकट किया और उनकी सेवा की और उन्हीं की वंशज रूप में आज वह भी राधारमण भगवान की सेवा करते है. मेरा कथा क्षेत्र से बेहद पुराना नाता है और मैं अपनी पीढ़ी का 38 वां वंशज हूं जो कथा वाचक के रूप में कृष्ण भक्तों को कथा सुनाते है. जिनमें सर्वप्रथम उनके गुरु स्वयं भगवान कृष्ण है. जिन्होंने पूरे विश्व को अर्जुन के द्वारा गीता सुनाई थी.
कथाओं को विश्व के पटल तक पहुंचाया
पुंडरीक की शुरुआती शिक्षा वृंदावन और मथुरा के ही स्कूल में हुई. जिसके बाद उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की. उन्होंने बताया कि शुरुआत से ही उनके घर में धार्मिक के साथ-साथ सांसारिक ज्ञान का भी माहौल रहा है. उन्होंने बताया कि वैसे तो उनके परिवार के द्वारा वृंदावन और ब्रज के आस पास के क्षेत्रों में कथा का क्रम काफी समय से चल रहा था लेकिन विश्वव्यापी कथा की शुरुआत पिछली पाँच पीढ़ियों से हुई. जहां उनके पूर्वजों ने देश के विभिन्न स्थानों में गीता का प्रचार प्रसार करना शुरू किया. उनके दादा स्वर्गीय अतुल कृष्ण गोस्वामी ने देश के कई बड़े राज घरानों और संतों के यहां भी कथा की जिसके बाद उनके पिता स्वर्गीय भूतिकृष्ण गोस्वामी ने कथाओं को विश्व के पटल तक पहुंचाया और कनाडा, अफ्रीका, अमेरिका जैसे कई बड़े देशों में कथा की.
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई
कथा यात्रा की दौरान जब उन्हें भी बाहर रहना पड़ा तो उन्होंने कुछ समय विश्व की प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की. लेकिन उनके पिता और दादा के निधन के कारण उन्हें वहां से पढ़ाई छोड़ कर आना पड़ा. उसके बाद से ही अपने पिता और दादा के पदचिह्नों पर चलते हुए उन्होंने कथा करना शुरू किया. आज पूरे विश्व भर में पुंडरीक के करोड़ों की संख्या में अनुयायी है जो बड़े भाव से उनकी कथा सुनते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 11:06 IST