60 दिन में किसान बनेंगे लखपति! कमाल है इस अनाज की खेती, सही समय पर लगाया तो 4 गुना मुनाफा

शशिकांत ओझा/पलामू. मूंग एक ऐसी फसल है, जिससे किसान खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके लिए किसानों को ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं पड़ती. किसान इस फसल को मार्च से जून तक के बीच में भी कर सकते हैं. यह फसल गर्मी के दिनों में अच्छा मुनाफा देती है. खास बात ये कि इस फसल में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती.

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने बताया कि मूंग एक दलहनी फसल है. जिसे किसान सही समय पर लगा कर बेहतर लाभ कमा सकते हैं. बताया कि अमूमन किसान खरीफ और रबी फसल करते हैं. इस दौरान मार्च से जून तक किसानों का खेत खाली रहता है. इस दौरान किसान 58 से 65 दिन में तैयार होने वाली गरमा मूंग की खेती कर सकते हैं. इससे खेत का उत्पादन बढ़ जाता है.

ऐसे करें मूंग की खेती
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि मूंग की खेती करने से पहले किसान को अपने खेत में ट्रैक्टर और कल्टीवेटर द्वारा दो चास जोतई करनी होगी. इसके बाद एक बार रोटावेटर से खेत की जुताई करनी होगी. इससे खेत मजबूत होता है. इसके बाद 10 किलो बीज प्रति एकड़ और 25 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लगा सकते हैं, जो 60 दिन में तैयार होता है. इसको लगाने का सबसे उचित समय 15 मार्च से 10 अप्रैल के बीच है. बरसात आने से पहले फसल तैयार हो जाती है. ये गरमा फसल होती है, इसलिए इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. एक बार नमी होने पर बीज लगा देते हैं. इसके बाद दो से तीन बार पटवन कर सकते हैं. इसे लगाने के लिए एक से दूसरे पौधे के बीच 12 इंच की दूरी रखें. इससे फसल का काफी बेहतर उत्पादन होता है.

बीज लगाने से पहले करें उपचार
आगे बताया कि इसका बीज लगाने से पहले बीज उपचार अवश्य करें. बीज उपचार करने से रोग दूर हो जाते हैं. इससे कीट के प्रकोप से बचा जा सकता है. बीज उपचार हेतु यूपीएल कंपनी की शाल दवा से उपचार कर सकते हैं. 10 किलो बीज उपचार हेतु 200 ग्राम दवा को पानी में मिलाकर हाथों में ग्लब्स के सहारे बीज में लेप चढ़ाएं. इसके अलावा करबेंडा जिम दवा दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर उससे बीज उपचार करें.

एक एकड़ में होगा 4 क्विंटल तैयार
गरमा मूंग की खेती में 60 दिनों के अंदर तीन बार किसान कटाई कर सकते हैं. एक एकड़ में लगाने में 10 किलो बीज लगता है, जिससे 4 क्विंटल मूंग तैयार होती है. जिसे आप बाजार में दाल या बीज के रूप में बिक्री कर सकते हैं. अगर किसान इसकी खेती करने में देर करते हैं तो बरसात आने आप फसल बर्बाद हो जाती है. वहीं, कटाई के बाद फसल को खेत में जुताई कर देते हैं, तो खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है. वहीं इसकी जड़ों में गांठ और नाइट्रोजन फिक्सेशन होता है, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है.

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