नितिन श्रीवास्तव/सुल्तानपुर. सुल्तानपुर जिला उत्तर प्रदेश में है और यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है. इस जिले में गोमती नदी के किनारे पर एक प्राचीन वृक्ष है, जिसे लोग ‘पारिजात वृक्ष‘ या ‘कल्प वृक्ष‘ के नाम से जानते हैं. यह वृक्ष कोई साधारण वृक्ष नहीं है, बल्कि इसे देववृक्ष भी कहा जाता है. यहां नियमित रूप से आस्थावान लोग आकर पूजा करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यह वृक्ष आनेवाले श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी करता है.
पारिजात वृक्ष के बारे में एक रोचक कथा भी है. एक बार देवराज इंद्र ने महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण श्रीहीन हो गए थे. स्वर्ग लोक से वैभव, समृद्धि और संपन्नता सब खत्म हो गई थी. इस समस्या का समाधान के लिए देवताओं ने असुरों की सहायता से सागर मंथन करने का निश्चय किया.
सागर मंथन के परिणामस्वरूप, पारिजात वृक्ष के साथ 14 रत्न निकले, जिनमें से एक रत्न पारिजात वृक्ष था. देवराज इंद्र ने इस पारिजात वृक्ष को लेकर स्वर्ग में स्थापित किया. सागर मंथन के परिणामस्वरूप ही माता लक्ष्मी और पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई, और इसके कारण माता लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं.
पारिजात वृक्ष का एक बड़ा प्रांगण है और इसकी देखरेख और संरक्षण के लिए ‘कल्पवृक्ष सेवा समिति‘ नामक संगठन बनाया गया है. संगठन के अध्यक्ष नितिन श्रीवास्तव बताते हैं कि इस पारिजात वृक्ष की आयु करीब 5000 वर्ष से अधिक हो सकती है.
पारिजात वृक्ष के प्रांगण में लोग नियमित रूप से पूजा-पाठ करते हैं, और यह भी एक पर्यटन स्थल के रूप में चर्चा में है. करीब 2 साल पहले, प्रयागराज अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने इस वृक्ष की विशेषताओं की खोज की और इसकी आयु को निर्धारित किया
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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 16:42 IST