इंजीनियर की नौकरी को मारी लात, शुरू कर दी गुलाब की खेती,घर में उगने लगे पैसे

रामकुमार नायक/ महासमुंदः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में सिर्फ धान की ही खेती नहीं फूलों की भी खेती हो रही है. छत्तीसगढ़ में ऐसे युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो देश विदेश में IT सहित अन्य क्षेत्रों में काम करने के बाद अब अपने गांव लौटकर खेती को अपना करियर बना रहे हैं. ये युवा परंपरागत तरीके से खेती करने के बजाय आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं. इनमें महासमुंद जिले में मालीडीह गांव के युवा किसान अमर चंद्राकर ने भी खेती में नया प्रयोग कर फूलों की व्यावसायिक खेती का सफल मॉडल पेश किया है.

युवा किसान अमर चंद्राकर कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर गांव लौटने पर गुलाब की खेती के प्रयोग को आधुनिक तरीके से आगे बढ़ाने का फैसला किया. इसे कुछ अलग तरीके से आगे बढ़ाने के क्रम में उन्होंने उद्यान विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर गुलाब के खेत में पॉलीहाउस बनाया. इस काम में उन्हें सरकार की बागवानी योजना के तहत अनुदान और तकनीक का सहयोग मिला. उद्यान विभाग से फूलों की खेती का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने अब गुलाब की खेती का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए इसे झरबेरा और सेवंती के फूलों की खेती तक पहुंचा दिया है.

ऐसे किया शुरू किया था सफर
चंद्राकर ने बताया कि कुछ साल पहले उनके पिता अरुण चंद्राकर ने परम्परागत तरीके से चल रही खेती के बीच ही गुलाब की खेती का छोटा सा प्रयोग किया था. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने 400×400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे लगाए. इसके शुरुआती परिणाम अच्छे रहे. उपज की आपूर्ति आसानी से कर पाते हैं. इससे आसपास के किसान भी फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.

गुलाब की खेती में लाखों का मुनाफा
चंद्राकर ने बताया कि फूलों की खेती से नियमित आय होती है. उन्होंने एक-एक एकड़ के दो खेतों में झरबेरा के फूल की खेती 2020-21 में प्रारम्भ की थी. इससे उन्हें प्रति माह लगभग 1 लाख रुपये की शुद्ध बचत हो जाती है. इस काम में उन्होंने 35 श्रमिकों को नियमित रोजगार भी दिया है. अब वह फूलों की खेती का रकबा बढ़ाकर 6 एकड़ करने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके खेत में उपजे फूल कम से कम 2.5 रुपये से लेकर 17 रुपये प्रति नग की दर से रायपुर, मुंबई, नागपुर, कोलकाता और बेंगलुरु आदि महानगरों में सप्लाई होते हैं.

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