सावधान! जल्दी नहीं छोड़ी स्मोकिंग…तो हो जाएंगे इस जानलेवा बीमारी के शिकार

कपिल/ शिमला. धूम्रपान के कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) की संख्या बढ़ रही है. इस कारण, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, और उत्तराखंड में COPD के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. आईजीएमसी अस्पताल में रोजाना 85 फीसदी OPD में COPD के मरीज हैं, और इनमें से 40 साल से अधिक आयु के व्यक्ति सबसे अधिक प्रभावित हैं. COPD से संबंधित 10 मौतों में से 8 के लिए धूम्रपान जिम्मेदार है.

सीओपीडी आमतौर पर सिगरेट पीने के कारण होता है, हालांकि लंबे समय तक फेफड़ों में जलन पैदा करने वाले अन्य कारकों, जैसे धूम्रपान के धुएं के संपर्क में रहना भी सीओपीडी को बढ़ावा देता है. सीओपीडी के कारण वायुमार्गों से कम हवा बहती है. बचपन और किशोरावस्था के दौरान धूम्रपान और धूम्रपान के संपर्क में आने से फेफड़ों की वृद्धि और विकास धीमा हो सकता है.

डॉ. मलय सरकार ने बताया कि सीओपीडी के कारण फेफड़ों में वायुमार्ग और छोटी वायुकोशियां फैलने और सिकुड़ने की क्षमता कम हो जाती है. कई वायुकोषों के बीच की दीवारें नष्ट हो जाती हैं और वायुमार्ग की दीवारें मोटी और सूजनयुक्त हो जाती हैं. वायुमार्ग सामान्य से अधिक बलगम बनाता है, जो अवरुद्ध कर सकती है और वायुप्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं.

ये हैं इस बीमारी के लक्षण
उन्होंने बताया कि सीओपीडी के शुरुआती चरणों में, कोई लक्षण नहीं हो सकता है या फिर हल्के लक्षण हो सकते हैं, जो बढ़ते हैं जब बीमारी बढ़ती है. इसमें खांसी, सांस की तकलीफ, घरघराहट, सीने में जकड़न जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं. ये लक्षण हर व्यक्ति में नहीं होते हैं और एक डॉक्टर के साथ परामर्श के बाद ही सीओपीडी की निश्चित जानकारी मिल सकती है.

(नोटःयहां दी गई जानकारी सिर्फ डॉक्टर से बातचीत पर आधारित है. इसकी न्यूज 18 पुष्टि नहीं करता है.)

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