राजकुमार सिंह/वैशाली : बिहार में कई ऐसे कुटीर उद्योग है, जो परंपराओं पर आधारित हैं. त्योहारों से इसका खास कनेक्शन रहता है. उसी कुटीर उद्योग में से एक है सांचा का निर्माण. ये लकड़ी का बनता है और इसका उपयोग पकवान बनाने में लाया जाता है. हालांकि अब हर सीजन में पकवान बनने लगा है तो सांचा का व्यवसायीकरण भी हो गया है. वैशाली जिला के हाजीपुर में सांचा का बड़े पैमाने पर निर्माण किया जाता है और इसकी सप्लाई देश भर में होती है.
सांचा बनाने के पुश्तैनी धंधे को आगे बढ़ा रहे हैं राजीव
हाजीपुर के रहने वाले राजीव शर्मा के दादा पहले सांचा बनाने का ही काम करते थे. उसके बाद पिता ने धंधे को संभाला अब राजीव खुद इस पुस्तैनी धंधे को संभाल रहे हैं. दादा और पिता छोटे स्तर पर काम करते थे, लेकिन राजीव ने इसको विस्तार दिया और चार लोगों को काम पर रखा भी है.
राजीव शर्मा ने बताया कि चार लोगों के साथ मिलाकर रोजाना 500 से अधिक सांचा तैयार कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि खुदरा बेचने करने के बजाय इसे होलसेल रेट में बिक्री कर देते हैं. सांचा बनाने वाले कारीगर ने बताया कि 100 से अधिक सांचा रोजाना बना लेते हैं. रोजाना 500 रुपए मजदूरी मिल जाती है. यह काम सालों भर चलता रहता है.
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सालाना सात लाख की कर लेते हैं कमाई
राजीव ने बताया कि रोजाना सुबह 8 से शाम 5 बजे तक यह काम चलता है. उन्होंने बताया कि सांचा बनाने का काम पिता से ही सीखा है. सांचा की सबसे अधिक बिक्री छठ पर्व के दौरान होती है. उन्होंने बताया कि अलग-अलग तरह का सांचा तैयार करते हैं. होलसेल रेट की बात की जाए तो 17 से लेकर 30 रुपए तक में बिकता है. हाजीपुर में बनने वाला सांचा बिहार ही नहीं बल्कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में जाता है. सांचा निर्माण कर सालाना 8 लाख से अधिक की कमाई कर लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 15:13 IST