राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर नेपाल की अपने नागरिकों को सख्‍त ह‍िदायत, कहा-भूलकर भी न करें 22 जनवरी को ये काम

काठमांडू : अयोध्या 22 जनवरी को राम मंदिर में बहुप्रतीक्षित प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए तैयार हो रही है. इस भव्य आयोजन के साथ नेपाल का एक बड़ा कनेक्शन भी जुड़ा हुआ है. नेपाल के जनकपुर से 500 से अधिक सजी हुई उपहार टोकरियां अयोध्या भेजी गईं. जनकपुर को सीता मां का जन्मस्थान माना जाता है. नेपाल ने अपने नागरिकों से 22 जनवरी को आरती और विशेष पूजा करने के साथ-साथ उस दिन शराब और मांसाहारी भोजन की बिक्री रोकने का आह्वान किया है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय द्वारा भेजे गए एक पत्र के अनुसार, नेपाली पुजारी, आचार्य दुर्गा प्रसाद गौतम 22 जनवरी को विशेष धार्मिक समारोह का नेतृत्व करेंगे. गौतम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सैकड़ों हजारों हिंदू भक्तों के सामने वैदिक मंत्रों का पाठ करेंगे.

25 वर्षीय राम मंदिर के पुजारी हैं और अप्रैल 2020 से इससे जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा, “अप्रैल 2020 में भूमि पूजन के बाद से मैं सभी धार्मिक कार्यों से जुड़ा रहा हूं. मैं भगवान राम की सेवा कर खुश हूं.”

इस बीच, जनकपुर में राम-जानकी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत राम तपेश्वर दास को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. महंत राम तपेश्वर दास और उनके उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास, जो इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, को विशेष स्थान दिया जाएगा, क्योंकि वे सीता के जन्मस्थान से हैं.

अयोध्‍या राम मंदिर की पूरी कवरेज यहां देखें

विश्व हिंदू परिषद नेपाल चैप्टर के अनुसार, काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल गणेश भट्ट, जिन्हें मुउल भट्ट के नाम से भी जाना जाता है, को भी आमंत्रित किया गया है.

जनकपुर उप महानगर शहर ने सभी निवासियों से 22 जनवरी को हर घर और राम-जानकी मंदिर में दीये जलाकर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में शामिल होने का आह्वान किया है.

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर नेपाल की अपने नागरिकों को सख्‍त ह‍िदायत, कहा-भूलकर भी न करें 22 जनवरी को ये काम

इसी तरह, बीरगंज मेट्रोपॉलिटन सिटी ने 22 जनवरी को मांसाहारी भोजन और शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. उसी दिन शहर के घड़ियारवा पोखरी में समारोह होगा.

इससे पहले, दो बड़े शालिग्राम, एक जीवाश्म पत्थर या अमोनाइट, नेपाल में गंडकी नदी की सहायक नदी काली गंडकी के तट से एकत्र किए गए थे और अयोध्या भेजे गए.

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