बेहद खास है सिक्की आर्ट, ये युवा बची हुई फसल से बनाते हैं खूबसूरत आइटम, विदेशों में भी जबरदस्त डिमांड

सत्यम कुमार/भागलपुर: बिहार के भागलपुर जिले के गोराडीह प्रखंड के बिरनोत गांव के रहने वाले रवि कुमार ने फसल अवशेष से सिक्की आर्ट बनाकर अपनी किस्मत बदल दी है. रवि धान, गेहूं और मक्का के अवशेषों का उपयोग करके आकर्षक कलाकृतियां बनाते हैं, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि उन्हें अच्छा मुनाफा भी कमाकर दे रही हैं. रवि कुमार का सिक्की आर्ट से जुड़ा सफर प्रेरणादायक है. रवि ने रचनात्मकता और पर्यावरण की चिंता को मिलाकर न केवल अपनी किस्मत बदली है, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बन गए हैं.

रवि ने बताया कि बिहार में गेहूं, धान और मक्का की खेती बड़ी मात्रा में होती है. इन फसलों के अवशेषों को अक्सर जला दिया जाता है, जिससे प्रदूषण और खेतों को नुकसान होता है. रवि इन अवशेषों का सदुपयोग करने के लिए सिक्की आर्ट की ओर रुख किया है.

परंपरा का नया रूप
सिक्की आर्ट एक पारंपरिक कला है, जिसमें नारियल की सिक्की, कुश या मूंज का उपयोग कलाकृतियां बनाने के लिए किया जाता है. रवि ने इस कला में नयापन लाते हुए गेहूं के डंठल, धान के पुआल और मक्का के पत्तों का उपयोग शुरू किया. नाखून की सहायता से डिजाइंग करके उन्होंने इन कलाकृतियों को और भी आकर्षक बना दिया.

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लोगों का मिल रहा भरपूर प्यार
रवि ने सिक्की आर्ट से बने उत्पादों को विभिन्न प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया, जहां उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और समर्थन मिला. लोगों ने इन कलाकृतियों को खरीदने के साथ-साथ सिक्की आर्ट सीखने में भी रुचि दिखाई. रवि ने बताया कि महाराष्ट्र में आयोजित एक प्रदर्शनी में विदेशी पर्यटकों ने भी इन कलाकृतियों को खूब पसंद किया और 6 उत्पाद खरीदे. रवि के सिक्की आर्ट से बने उत्पाद नेपाल, भूटान, अमेरिका और इंडोनेशिया जैसे देशों तक भी अपनी पहुंच बनाई है.

कला और कमाई का संगम
रवि सिक्की आर्ट से पेड़, घर, तालाब, मछली, भगवान समेत कई तरह के चित्र बनाते हैं, जिनकी कीमत 1500 रुपये से शुरू होती है. रवि का कहना है कि फसल अवशेष का उपयोग करके वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

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