खादी को बढ़ावा देने के लिए UGC का अनूठा प्रयोग, इस यूनिवर्सिटी को लिखी चिट्ठी

गौरव सिंह/भोजपुर : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और इसके अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में आयोजित होने वाली कार्यशाला, सेमिनार व अन्य आयोजनों में अब अतिथियों को स्मृति चिह्न, बुके और गिफ्ट नहीं बल्कि खादी के कपड़े या किताब गिफ्ट दिया जायेगा. आयोजनकर्ताओं को स्मृति चिह्न, बुके सहित अन्य उपहारों की जगह अतिथियों को खादी के शॉल, अंगवस्त्र या किताब देना आवश्यक किया गया. खादी उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नया आदेश जारी किया है. यूजीसी ने बीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय समेत सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों को पत्र जारी किया है. यूजीसी ने समारोहों में खादी से बने परिधान अथवा किताबें देने की बात आवश्यक कर दिया है.

यूजीसी के इस निर्देश से क्या होगा लाभ
यूजीसी के इस आदेश के तहत अब कॉलेज और यूनिवर्सिटी को सेमिनार और कार्यशाला के अन्य कार्यक्रमों में खादी के कपड़े और किताबों को बढ़ावा देना होगा. बताया जाता है कि इससे साहित्यिक विरासत और खादी ग्रामोद्योग को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही स्थानीय उत्पादों की खपत बढ़ेगी.

किताब भेंट किये जाने से लाभ यह होगा कि विवि के प्रतिष्ठित और स्थानीय लेखकों को पहचान मिलेगी. उनकी प्रसिद्ध किताबें अतिथियों को भेंट होगी तो वे पढ़ेंगे और स्थानीयता की जानकारी हासिल करेंगे. इससे विवि की भी अलग पहचान भी बनेगी.

अब तक ये सामान किये जाते रहे हैं भेंट
विवि और कॉलेजों में आयोजित कार्यशाला सेमिनार सहित अन्य आयोजनों में अब तक मेहमानों को लकड़ी, मेटल से बने उपहार, चादर, फोटो फ्रेम, पौधा, बुके अथवा अन्य उपहार दिये जाते रहे हैं. कई आयोजनकर्ता मेहमानों को खुश करने के लिए कीमती समाग्री भी देते हैं. अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि यूजीसी सचिव प्रो. मनीष जोशी ने खादी उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सम्मान समारोहों में खादी निर्मित परिधान अथवा किताबें प्रदान करने का निर्देश दिया है. पत्र में इस आदेश को सुनिश्चित कराने को कहा गया है.

सभी कॉलेजों को जारी होगा पत्र
कुलसचिव प्रो. रणविजय कुमार का कहना है कि सभी कॉलेजों को पत्र जारी कर इसका अनुपालन करने को कहा जायेगा. यूजीसी के आदेश से स्थानीय खादी उत्पाद खास कर ग्रामोद्योग को भी लाभ मिलेगा. यूजीसी की इस पहल से कई तरह के फायदे समाज और लोगों को मिलेंगे. इससे समृद्ध साहित्यिक विरासत बढ़ेगी.

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