पहली बार विधायक.. पहली ही बार में सूबे के मुखिया! जानें राजस्‍थान के नए सीएम भजनलाल शर्मा का सियासी सफर…

नई दिल्ली:  

राजस्थान में मुख्यमंत्री का फैसला हो चुका है. पार्टी आलाकमान ने भाजपा के प्रदेश महामंत्री और सांगानेर से विधायक भजनलाल शर्मा को राजस्थान के नए सीएम की जिम्मेदारी दी है. ऐसे में अब इसी के साथ, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाद, राजस्थान में भी सीएम का सस्पेंस खत्म हो गया है. गौरतलब है कि, राज्य में मुख्यमंत्री पद की रेस में तमाम दिग्गज नाम शुमार थे, जिसपर फैसला करने के लिए बीजेपी ने तीन पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया था. 3 दिसंबर को राजस्थान के परिणाम घोषित होने के साथ ही, तमाम विधायकों की सिलसिलेवार बैठक शुरू हो गई थी, ऐसे में अब पार्टी आलाकमान के इस फैसले से हर कोई हैरान है…

गौरतलब है कि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं पार्टी के अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं की मौजूदगी में ऐलान हुए भजनलाल शर्मा के नाम के बाद, प्रदेश की सियासत चर्चाओं में है. ऐसे में इसी बीच प्रदेश समेत देशभर की जनता के जहन में सवाल है कि आखिर, कौन है राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा? चलिए आपको बताते हैं…

बता दें कि राजस्थान के नए सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेश के सांगानेर से विधायक हैं. उन्होंने राजस्थान विधानसभा चुनाव में सांगानेर सीट से बतौर भाजपा उम्मीदवार, जीत हासिल की थी. खास बात ये है कि, वे पहली बार विधायक चुने गए हैं. 

इससे पहले राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं. उन्होंने पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों का दारोमदार संभाला है. भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री से पहले बीजेपी के प्रदेश महासचिव रहे हैं. 

राजस्थान के नए सीएम के निजी जीवन की बात करें तो, उनकी उम्र अभी 56 साल है, वो मूल रूप से सांगानेर से नहीं, बल्कि भरतपुर के रहने वाले हैं. लिहाजा उनपर बाहरी होने के आरोप लगते रहे हैं, बावजूद इसके राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में उन्होंने सांगानेर से ही बड़े अंतर के साथ विपक्षी प्रत्याशी को मात देते हुए, जबरदस्त जीत हासिल की है. 

गौरतलब है कि, राजस्थान के नए सीएम भजनलाल शर्मा ने विधानसभा चुनाव में अपने सामने उतरे, कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को तकरीबन 48081 वोटों से मात देकर कामयाबी हासिल की है. मिली सूचना के अनुसार, वे संघ और संगठन दोनों का करीबी माने जाते हैं. 

खबर है कि, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा है, जिसे सर्वसम्मति से चुन लिया गया है, लिहाजा अब देखना होगा कि भाजपा आलाकमान के इस फैसले पर प्रदेश में पक्ष-विपक्ष की राजनीति क्या नया मोड़ लेती है. 




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