ऐसा था सीएम मोहन यादव का बचपन, पिता की भजिए की दुकान पर हाथ बंटाते थे

उज्जैन. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने जाने पर उज्जैन के डॉक्टर मोहन यादव को घर पर बधाई देने वालों का हुजूम लगा हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत किस संघर्ष से की थी. स्कूल कॉलेज के साथी अपने दोस्त के मुख्यमंत्री बनने पर फूले नहीं समा रहे. वो पुराने दिन याद कर रहे हैं और उन्होंने डॉ मोहन यादव के जीवन के वो किस्से सुनाए.

डॉक्टर मोहन यादव ने अपने राजनीतिक करियर की कैसे शुरुआत की. बचपन कैसा बीता. स्कूल और कॉलेज की शिक्षा कहां से हुई के दोस्त और जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की. फिर करियर की शुरुआत कैसे हुई. इस बारे में डॉ मोहन यादव के बाल सखा जगदीश पांचाल ने सारे किस्से सुनाए.

भजिए की दुकान
डॉ मोहन यादव ने अपने जीवन की शुरुआत भजिए की दुकान चलाने से की थी. 1965 में गीता कॉलोनी निवासी पूनमचंद यादव के घर जन्मे मोहन यादव का शुरुआती जीवन काफी ग़रीबी में बीता. उनके पिता पूनम यादव और उनके चाचा शंकर लाल यादव की मालीपुर स्थित शराब की दुकान के सामने भजिए की दुकान थी. मोहन यादव भी अपने पिता और चाचा का हाथ बंटाते थे. वो दुकान पर भी बैठते थे और  स्कूल भी जाते थे. कठिन परिश्रम और पढ़ाई में लगने के कारण मोहन यादव ने पीएचडी तक की शिक्षा ग्रहण की.

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पढ़ाई में शुरू से तेज़ थे मोहन
मुख्यमंत्री मोहन यादव के बचपन के मित्र, सहपाठी और पूर्व पार्षद जगदीश पांचाल ने बताया मोहन पढ़ाई में शुरू से काफी तेज थे. पांचवी तक घर के समीप ही शारदा प्राथमिक विद्यालय,  फिर 8वीं तक कैलाश भवन माध्यमिक विद्यालय बुधवारिया में पढ़े. 9से 11 वीं तक जीवाजीगंज हायर सेकेंड्री स्कूल में पढ़ने के बाद बीएससी करने के लिए सन 1982 में देवास रोड स्थित माधव साइंस महाविद्यालय पहुंच गए.

संघ की शाखा का अनुभव
मोहन यादव बचपन से ही आरएसएस की शाखा में जाते थे.विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के बाद 1982 में वो माधव विज्ञान महाविद्यालय में सह सचिव थे. 1984 में अध्यक्ष बने.

एबीवीपी से शुरू हुआ करियर
एक और दोस्त बने सिंह चौहान ने बताया मोहन यादव बचपन से संघर्ष शील थे और ग्रुप बनाकर चलते थे. बने सिंह अब जीवाजी गंज सीएम राइज स्कूल में शिक्षक हैं. साइंस कॉलेज के प्रो डा रतन भामरा ने बताया मोहन यादव उनके जूनियर थे लेकिन कॉलेज में एंट्री के प्रथम वर्ष में ही उन्होंने एबीपी से चुनाव लड़ा और सह सचिव बन गए. दूसरे वर्ष में उन्होंने कॉलेज में कांग्रेस का प्रभुत्व होने के बावजूद एबीवीपी से चुनाव जीता और अध्यक्ष बन गए. डॉ यादव की मेहनत का ही परिणाम है कि साइंस कॉलेज में अब तक एबीपी का प्रभुत्व बना हुआ है.

पड़ोसी भी मोहन यादव के फैन
यादव के पड़ोसियों का कहना है वे काफी सहज और सरल हैं. मंत्री बनने के बाद भी घर पर आने पर सभी से सामान्य रूप से मिलकर दुआ सलाम करते हैं और महाकाल के अनन्य भक्त हैं.

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