परीक्षा में रोल नंबर और नाम नहीं.. कोडिंग का होगा इस्तेमाल, इस यूनिवर्सिटी ने

गौरव सिंह/भोजपुर. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय ने परीक्षा के पैटर्न में काफी बदलाव किया है. अब रोल नंबर और नाम की जगह पर कोडिंग होगी. जिसके जरिए ही परीक्षा होगी. परीक्षा में पारदर्शिता रखने के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है. इस बार स्नातक सेमेस्टर वन सत्र 2023-27 की परीक्षा की सभी उत्तर पुस्तिकाओं की कोडिंग होगी. इससे कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी नहीं हो सकेगी. परीक्षक को यह पता नहीं होगा कि वह किस विद्यार्थी की कॉपी जांच रहे हैं. फिलहाल इसे प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है. अगर विश्वविद्यालय प्रशासन को इसमें सफलता मिलती है, तो ये आगे पूर्ण रूप से वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में लागू कर दिया जाएगा.

विवि प्रशासन ने स्नातक सेमेस्टर वन की परीक्षा में उत्तर पुस्तिका भी कोडिंग के हिसाब से तैयार की है. उत्तर पुस्तिका के पहले पेज पर जहां परीक्षार्थी अपना रोल नंबर सहित अन्य जानकारी भरते हैं, वहां पर कोडिंग के लिए स्थान बनाया गया है. इस बार कॉपी ओएमआर आधारित है. कोडिंग के बाद इसकी एक प्रति को अलग कर दिया जाएगा. विवि के अनुसार यह प्रयोग सफल रहा, तो आगे भी सभी कोर्स की परीक्षाओं में कोडिंग कराकर कॉपी का मूल्यांकन कराया जाएगा.

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गोपनीय तरीके से होगी कोडिंग
कुलपति प्रो.शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि मूल्यांकन में पारदर्शिता को लेकर विवि ने कोडिंग कराकर मूल्यांकन का तरीका अपनाया है. बता दें कि रोल नंबर कोडिंग के बाद हटा दिया जाएगा. कोडिंग भी गोपनीय तरीके से की जाएगी. मूल्यांकन करने के लिए बाहर के शिक्षकों को रखा जाना है. इसके पीछे कोडिंग में पारदर्शिता बताई जा रही है. गुप्त तरीके से होने वाली कोडिंग की जानकारी परीक्षा विभाग से जुड़े महज कुछ अधिकारी और कोडिंग करने वाले संबंधित कर्मी को ही रहेगी.

कैसे होगी कोडिंग
परीक्षा केंद्र से परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को विवि प्रशासन एक जगह रखेगा. यहां कोडिंग का काम गुप्त तरीके से होगा. कोडिंग के समय परीक्षार्थी का रोल नंबर और उसकी की गयी कोडिंग रजिस्टर में अंकित की जाएगी. जब कॉपियों का मूल्यांकन हो जाएगा, तो उसकी डिकोडिंग कर कोडिंग पर मिले मार्क्स से उस परीक्षार्थी के अंक चढ़ाए जाएंगे. बता दें कि अगर किसी परीक्षार्थी का रोल नंबर 10005 है, तो उसे कोडिंग करने वाले डी 11 या कोई अन्य कोड करेंगे. मूल्यांकन के बाद कोडिंग डी -11 में मिले मार्क्स को उसके रोल नंबर के साथ अंकित किया जाएगा. इसके बाद टीआर तैयार होगा.

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