नई दिल्ली6 मिनट पहले
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जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के साथ सोनी ग्रुप का मर्जर अब खत्म हो गया है। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया, जिसे अब कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट लिमिटेड (CME) कहा जाता है। उसने इस बात की पुष्टि कर दी है कि जी ग्रुप के साथ मर्जर के एग्रीमेंट को खत्म कर दिया है।
सोनी ने आज यानी 22 जनवरी को डिसाइड एग्रीमेंट को खत्म करने के लिए एक टर्मिनेशन लेटर भेजा है। CME ने बयान जारी करते हुए कहा,’दो साल से अधिक की बातचीत के बाद हम बेहद निराश हैं कि मर्जर की अंतिम शर्तें अंतिम तारीख तक पूरी नहीं हुईं।’
9 जनवरी को डील खत्म होने की रिपोर्ट को जी एंटरटेनमेंट ने किया था खारिज
इससे पहले 9 जनवरी को जी एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने इकोनॉमिक्स टाइम्स की उस खबर को निराधार एवं तथ्यात्मक रूप से गलत बताया था, जिसमें विलय के समझौते को कैंसिल करने की योजना के बारे में दावा किया गया था।
एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने कहा था कि, ‘हम दोहराना चाहते हैं कि कंपनी सोनी के साथ मर्जर के लिए कमिटेड हैं। हम प्रपोज्ड मर्जर के सक्सेसफुल क्लोजर की दिशा में काम कर रहे हैं।’
सोनी नहीं चाहता था, पुनीत गोयनका CEO बनें
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में जब एग्रीमेंट साइन किया गया था, तब यह तय हुआ था कि पुनीत गोयनका मर्जर के बाद बनी इस नई कंपनी को लीड करेंगे। लेकिन सोनी अब नियामक जांच के कारण नहीं चाहता कि वो कंपनी के CEO बनें। पुनीत गोयनका जी ग्रुप के फाउंडर सुभाष च्रंदा के बेटे और जी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं।
2021 में हुई थी मर्जर की घोषणा
2021 में जी ने जापान के सोनी कॉर्प की सहायक कंपनी सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ मर्जर की घोषणा की थी, लेकिन क्रेडिटर्स की आपत्तियों सहित अन्य कारणों से ये विलय पूरा नहीं पाया है। इस मर्जर से 10 बिलियन डॉलर (करीब 83 हजार करोड़ रुपए) की कंपनी बनती। 24% से ज्यादा व्यूअरशिप के साथ जी+सोनी देश का सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट नेटवर्क होता।
लंबे समय से इंडियन टेलीविजन इंडस्ट्री में है सोनी पिक्चर्स
सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया लंबे समय से इंडियन टेलीविजन इंडस्ट्री में हैं। कंपनी ने भारत में 1995 में अपना पहला टीवी चैनल सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन लॉन्च किया था। कंपनी अपने बिजनेस को बहुत ज्यादा एक्सपेंड नहीं कर पा रही थी।
वहीं ZEEL ने अपना पहला चैनल जी टीवी 2 अक्टूबर 1992 को लॉन्च किया था। ZEEL पर लंबे समय से एस्सेल ग्रुप का कंट्रोल था, लेकिन एस्सेल पर अपने खुद के 2.4 अरब डॉलर (17,000 करोड़ रुपए) के कर्ज का बोझ था। ऐसे में इस मर्जर से दोनों कंपनियों को बड़ा और डायवर्स ऑडियंस बेस मिलता।