जानें कब है पुत्रदा एकादशी, संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की ऐसे पूजा अर्चना

रामकुमार नायक/महासमुंद. सावन महीने में सोमवार के साथ-साथ प्रदोष और एकादशी भी खास होती है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है. इस साल 27 अगस्त 2023, रविवार को पुत्रदा एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पुत्रदा एकादशी पर तुलसी जी की भी पूजा की जाती है. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों का पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत जरूर रखना चाहिए. इतना ही नहीं, इस व्रत से संतान की उम्र लंबी होती है और वह स्वस्थ रहता है.

रविवार 27 अगस्त को पुत्रदा एकादशी के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद पूजाघर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें और अब पूजा की तैयारी शुरू करें. पूजा के लिए विष्णु भगवान की प्रतिमा या फोटो एक लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थापित करें. चौकी में पहले पीले रंग का कपड़ा बिछा लें. अब भगवान को हल्दी और चंदन का तिलक करें फिर फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित कर भोग चढ़ाएं. पूजा में तुलसी और तिल भी जरूर अर्पित करें.

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा
इसके बाद धूप-दीप जलाएं और पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है. अब भगवान विष्णु की आरती करें. इस तरह विधि-विधान से किए पूजा से विष्णु भगवान प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते हैं. पुत्रदा एकादशी व्रत के बारे ऐसा कहा जाता है कि, इस व्रत को करने से हजारों सालों तक तपस्या करने जैसा फल प्राप्त होता है और पाप कर्म भी मिट जाते हैं.

भगवान विष्णु को समर्पित
पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि हमारे हिंदू समाज में साल में 24 एकादशी व्रत मानी जाती है. इन 24 एकादशी में से सबके अलग-अलग नाम है. जो सावन माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी पड़ने वाली है उसका नाम है पुत्रदा एकादशी. यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. जितने भी एकादशी व्रत रखने वाले व्रती होते हैं वे भगवान विष्णु की उपासना और पूजा करते हैं. जिनकी संतान नहीं और संतान की कामना चाहते हैं और संतान के समस्त स्वास्थ्य सुखों की कामना करना चाहते हैं उनको यह एकादशी व्रत रखना चाहिए. पुत्रदा एकादशी व्रत 27 अगस्त को रखी जाएगी.

विष्णु की पूजा
इस एकादशी व्रत को अपने संतान की दीर्घायु, संतान प्राप्ति की कामना के साथ प्रायः प्रायः सभी सनातनी रखते हैं. अपनी मनोकामना पूरी करने इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और कहीं कहीं पर तुलसी माता की भी पूजा करते हैं, क्योंकि भगवान विष्णु की पूजा बिना तुलसी के संपन्न नहीं है.

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