कच्चा दूध वो दूध होता है जो सीधे गाय से लोगों तक पहुँचता है. वहीं उबला हुआ दूध जिसे पास्चुराइज्ड (Pasteurized) दूध भी कहते हैं, इसे अच्छे से हाई टेम्परेचर पर उबाला जाता है ऐसा करने से इसमें पाए जाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. साथ हीं दूध खराब नहीं होता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
कच्चे दूध को पीने वाले लोग ये तर्क देते हैं की ये नेचुरल होता है इसलिए इसमें भरपूर मात्रा में पोषण पाया जाता है. ये सच है कि दूध को उबालने से उसमें पाए जाने वाले विटामिन्स की मात्रा थोड़ी कम हो जाती है. लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं होती. विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार बातों को बढ़ा चढ़ाकर कहा जाता है.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार कच्चे दूध में लिस्टेरिया, साल्मोनेला, ई. कोली जैसे हानिकारक बैक्टरिया पाए जाते हैं, ऐसे में इसका सेवन कई बीमारियों का कारण बन सकता है.
उल्टी, बुखार ,पेट खराब , थकान , ये कुछ ऐसे सिम्पटम्स (Symptoms) हैं जो कच्चे दूध को पीने से आपको हो सकते हैं. और अगर इसे नियमित रूप से इस्तेमाल में लाया जाए तो डिहाइड्रेशन, दिमाग का नुकसान होना, यहाँ तक कि किसी की जान भी जा सकती है.
क्यों उबाल कर पीना चाहिए दूध
पास्चुराइज्ड दूध के बारे में जानने से ये पता चलता है कि आखिर दूध को उबालकर पीना क्यों शुरू किया गया.
दरअसल पहले दूध को कच्चा पीया जाता था लेकिन सेंटर फ़ॉर डीजीज कंट्रोल के अनुसार इससे बीमारी फैली और कई लोगों की जान चली गई. उसके बाद दूध को उबालना शुरू हुआ और बीमार लोगों की संख्या में कमी देखने को मिली. तब से ये एक अच्छा तरीका माना जाता है.
यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, सीडीसी, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टेट पब्लिक हेल्थ वेटेरिनेरियन्स जैसे कई प्रमुख वैज्ञानिक संगठनों के द्वारा भी पास्चुराइज्ड की सलाह दी जाती है. डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की भी यही राय है. (प्रस्तुति – रौशनी सिंह)
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.