धीरज कुमार/किशनगंज. बिहार का किशनगंज जिला कृषि के क्षेत्र में लगातार बेहतरी की ओर बढ़ रहा है. यही कारण है कि यहां के किसान अब धान, गेहूं जैसे मोटे अनाज की खेती को छोड़ साग-सब्जी और चाय की खेती कर रहे हैं. वहीं, कई वर्षों से बिहार के किशनगंज जिले के किसानों ने मोटी फसलों के तुलना में वैकल्पिक खेती में ज्यादातर प्रयोग किया है. जिसका परिणाम यह रहा कि जिले में चाय, ड्रैगन फ्रूट्स, अनानस और सब्जियों की अच्छी पैदाकर कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे ही एक किशनगंज के बेलवा के किसान जयनंदन पासवान जो कि तीन बीघे में बरवटी और बैंगन की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं.
न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए किसान जयनंदन पासवान ने बताया कि हम सब्जी की खेती अधिक मात्रा में करते हैं. सब्जी की खेती में हफ्तावार में आमदनी होती है. वहीं, धान, गेंहू जैसे मोटे अनाज से 5-6 महीने पर पैसा निकलता है. इसलिए सब्जी की खेती मोटे अनाज की तुलना में बेहतर है. वहीं, सब्जी की खेती में मेहनत कम है और मुनाफा ज्यादा है. तीन बीघा बरवटी और बैगन से प्रति बीघा लाख रुपया तक निकलने की उम्मीद है. वहीं, लागत की बात पूछने पर जयनंदन ने बताया कि एक बीघा सब्जी की खेती में लगभग 20-25 हजार रुपये का खर्च है. सब्ज़ी मंडी बेहतर रहने से एक लाख तक मुनाफा आसानी से हो जाता है.
एक बीघा बरवट्टी की खेती से 1 लाख का मुनाफा
जयनंदन ने बताया कि किशनगंज के किसान कमोबेश मोटे अनाज की खेती के साथ-साथ साग सब्जियों की खेती अत्यधिक मात्रा में कर रहे हैं और बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात है कि इससे रोजाना मुनाफा होता है. इससे किसान काफी खुश हैं. वहीं, बरबटी के अलावे जयनंदन ने बैंगन, गोभी, लौकी की भी खेती करते हैं जिससे हर वर्ष पांच बीघे की सब्जी की खेती में पांच लाख रुपया तक का आसानी से बचत होती है.
बुआई के बारे में बात करते हुए जयनंदन ने बताया कि बरवट्टी की उत्पादन 60-70 दिनों में होनी शुरू हो जाती है. हमलोग जून-जुलाई के महीने में बोते हैं, तो सितंबर से पौधे से बरवटी तोड़ना शुरू किया जाता है. किसान के लिए यह फायदे की खेती है.
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FIRST PUBLISHED : September 11, 2023, 08:32 IST