Success Story: पिता के निधन के बाद छोड़ी नौकरी, अब मछलीपालन से कमा रहे 10 लाख, कई लोगों को दिया रोज़गार

मो.महमूद आलम/नालंदा. दिल में कुछ करने का हौसला हो और हार नहीं मानने का जुनून हो तो इंसान जरूर सफल होता है. बिहार के नालंदा के विपिन कुमार ऐसे ही एक शख्स हैं. मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यानी एमआर की नौकरी छोड़ कर उन्होंने कुछ अपना करने का सोचा. विपिन ने मछली पालन करना शुरू किया. आज इससे उन्हें 10 लाख रुपये की कमाई होती है. साथ ही, उन्होंने 8 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. नालंदा के अस्थावां प्रखंड अंतर्गत तायमचक गांव निवासी विपिन कुमार ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय लक्ष्मी प्रसाद किसान थे. वो दो भाई हैं जिसमें वो बड़े हैं.

न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए विपिन ने बताया कि बुजुर्ग पिता का सहारा बनने के लिए स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी की. इससे उनके घर की आर्थिक स्थिति में सुधार आया, लेकिन अचानक पिता का साया उनके सिर से उठ गया. इसके बाद, छोटे भाई की शिक्षा के साथ परिवार को चलाना काफ़ी कठिन था, लेकिन उन्होंने मुश्किलों का डट कर सामना किया. नौकरी के बढ़ते दवाब की वजह से विपिन ने अपने दोस्तों से व्यवसाय शुरू करने के टिप्स लिये. उसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ कर वर्ष 2015 में अपनी तीन एकड़ ज़मीन में 20 लाख रुपये की लागत से मछली पालन शुरू किया.

यह काम शुरू करने के बाद विपिन पीछे मुड़कर नहीं देखे. आज मछली पालन से उनको सालाना 10 लाख रुपये इनकम हो रहा है. विपिन ने बताया कि उन्होंने एल्डर फार्मास्युटिकल लिमिटेड कंपनी में 15 साल तक नौकरी की थी.

ज़िले के दूसरे सबसे पुराने मत्स्य पालक हैं

नालंदा के मोहनपुर मत्स्य हेचरी के बाद विपिन कुमार ज़िले के दूसरे सबसे पुराने मत्स्य व्यवसाय बताए जाते हैं. उनके हेचरी से नालंदा के अलावा बिहार के कई ज़िले के मत्स्य पालक किसान मछली का स्पोन खरीदने आते हैं. इसके अलावा, उनकी मछली झारखंड व बंगाल में भी बेची जाती है. हर साल मछली के स्पॉन तैयार करने ओर वर्कर को उनका खर्च देने में दो से ढाई लाख रुपये सालाना खर्च होता है.

विपिन रेहू, कतला, सिल्वर, ग्लास्कर, कॉमन कार्प और नैनी इत्यादि प्रजाति के मछलियों का स्पॉन और मछली बेचते हैं. इनके यहां रोजगार हासिल करने वाले सभी आठ लोग पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं.

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