Success Story:इसे कहते हैं कामयाबी! बैंक की नौकरी छोड़ बने टीचर, खोले 20 स्कूल

विशाल झा/गाजियाबाद. बचपन से ही शिक्षा के प्रति जुनून और चुनौतियों से लड़ने की आदत ने रमन राजा खन्ना को एक प्रतिष्ठित शिक्षिविद बना दिया है. आज दर्जनों स्कूल, हजारों बच्चे और स्टॉफ तक का ये सफर संघर्ष से भरा रहा है. रमन बैंक पीओ के पद पर नौकरी करते थे, लेकिन हमेशा उनको लगता था कि वो नौकरी के लिए नहीं बने है.

रमन बताते हैं कि जब 9वीं में थे तो 8वीं के बच्चों को पढ़ाते थे,जब 11वीं में थे तो 10वीं के बच्चों को पढ़ाते थे. शुरू से ही पढ़ाने का शौक था. एजुकेशन इंडस्ट्री में कदम मैंने और मेरी पत्नी ने दो कमरों के स्कूल से रखा था. इसमें छोटे -छोटे कमरों के साथ एक छोटा ऑफिस भी था. जहां मेरी पत्नी बैठकर बच्चों की एडमिशन लेती थी. कमरा काफी तंग और पुराना था, लेकिन उस वक्त इतने पैसे भी नहीं हो पाते थे की मरम्मत करवा सकें. आर्थिक संकट का दौर था. बारिश के समय वहां पानी भर जाता था, लेकिन फिर भी हम नहीं रुके. धीरे -धीरे ये जर्नी बढ़ती गई और आज 20 स्कूलों तक पहुंच गई. जहां हजारों बच्चे पढ़ते हैं. दिल्ली के स्कूल पत्नी संभालती है और गाजियाबाद के वो खुद संभालते हैं.

पढ़ाई हर मुसीबत का जवाब
रमन ने बताया कि घर में हमेशा ही पढ़ाई का माहौल रहा. अंबाला हरयाणा से अपनी स्कूलिंग पूरी की, जिसके बाद दिल्ली से हायर एजुकेशन की. परिवार में माता – पिता एजुकेशन पर काफी जोर देते थे,  पिता जी कहते थे कि अगर मेरे बच्चे अच्छा पढ़ जाते हैं तो वो ही मेरा सबसे बड़ा धन है. आज अपने स्कूल में रमन भी बच्चों को शिक्षा के साथ मोरल वैल्यू सीखा रहें है. रमन बताते हैं कि स्कूल में शिक्षा के अलावा भी बच्चों की मोरल वैल्यू को बढ़ाना जरूरी है, क्योंकि अगर बच्चों में मोशनल स्टेबिलिटी होगी तो जीवन की किसी भी चुनौती को वो बिना विचलित हुए दूर कर सकेंगे.

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