प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज देश के लिए नौसेना के महत्व को समझते थे। पीएम मोदी महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में नौसेना दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी ने नौसेना दिवस पर भारतीय नौसेना के सदस्यों को भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज 4 दिसंबर का ये ऐतिहासिक दिन हमें आशीर्वाद देता है- सिंधु दुर्ग का ऐतिहासिक किला, मालवण तारकरली का ये खूबसूरत किनारा, चारों ओर फैला छत्रपित वीर शिवाजी का प्रताप। राजकोर्ट फोर्ट पर उनकी विशाल प्रतिमा का ये अनावरण और आपकी ये हुंकार हर भारतवासी को जोश से भर रही है।
नारीशक्ति पर बल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम सशस्त्र बलों में अपनी महिलाओं की ताकत बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि आज, भारत प्रभावशाली लक्ष्य निर्धारित कर रहा है; हमारे देश का जीत का गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को ‘विश्व मित्र’ के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि अपनी विरासत पर गर्व करने की भावना के साथ मुझे एक और घोषणा करते हुए गौरव हो रहा है। भारतीय नौसेना अब अपने रैंक का नामकरण भारतीय परंपराओं के अनुरूप करने जा रही है। हम सशस्त्र बलों में अपनी नारीशक्ति की संख्या बढ़ाने पर भी जो दे रहे हैं।
भविष्य लिखा जाएगा
मोदी ने कहा कि आज का भारत अपने लिए बड़े लक्ष्य तय कर रहा है और उसे पाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा रहा है। भारत के पास इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक बड़ी ताकत है। ये ताकत 140 करोड़ भारतीयों के विश्वास की है। उन्होंने कहा कि ये भारत के इतिहास का वो कालखंड है जो सिर्फ 5-10 साल का नहीं, बल्कि आने वाली सदियों का भविष्य लिखने वाला है। 10 वर्ष से भी कम के कालखंड में भारत, दुनिया में 10वें नंबर की आर्थिक ताकत से बढ़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। अब तीसरे नंबर की आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है।
‘मेड इन इंडिया’ की चर्चा
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज ‘मेड इन इंडिया’ की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। तेजस विमान हो या किसान ड्रोन, यूपीआई सिस्टम हो या फिर चंद्रयान 3, हर जगह, हर सेक्टर में मेड इन इंडिया की धूम है। उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक है। भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जिसके पास यह क्षमता है। पिछली सरकारें सीमावर्ती गांवों को ‘अंतिम गांव’ मानती थीं। यही वह विचार प्रक्रिया थी जिसने उनके विकास में बाधा उत्पन्न की।