Opinion: मोदी-नीतीश मिलन: क्या इस मुलाकात का कोई मतलब भी है?

बिहार में एनडीए सरकार के पतन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार साथ साथ नजर आए. कइयों को देखकर अच्छा लगा. लेकिन, कई लोग इस मुलाकात पर सवाल भी उठाएंगे कि पर्दे के पीछे क्या बात हुई होगी! आखिर राजनीति है, कुछ भी संभव है, तभी इसे संभावनाओं का खेल भी कहा जाता है. नीतीश लाख इनकार करें लेकिन प्रधानमंत्री पद को लेकर उनकी दावेदारी की चर्चा कल भी थी, आज भी है.

वर्ष 2014 और 2023 में हालांकि फर्क है. अब जब पीएम नरेंद्र मोदी 2024 की तैयारी कर रहे हैं, उनकी लड़ाई खुद से है और बेहतर करने की. संदेह नहीं, एक ग्लोबल लीडर के तौर पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई है. इसके पहले कई सार्वजनिक मौकों पर नीतीश कुमार और पीएम मोदी के मिलने का योग बना था. लेकिन नीतीश कुमार ने उन संभावनाओं को खत्म करना बेहतर समझा और वो किन्हीं वजहों से मिले नहीं.

नीतीश और मोदी का मिलना भी हुआ तो कहां?

G 20 के महामंच पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के साथ. क्या ऐसी मुलाकातों का कोई अर्थ निकालना चाहिए? शायद नहीं, पर ऐसी मुलाकातों होनी चाहिए, पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच. मुझे तो लगता है राहुल गांधी भी भारत में होते तो उनको भी बुलाते तो अच्छा लगता. उनकी भी तस्वीर पीएम मोदी और जो बाइडेन के साथ होती तो अच्छा लगता. पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर एक सामूहिक शक्ति बनते हैं. यही भारत का लोकतांत्रिक चरित्र रहा है. हम भले ही कितने मतभेद रखते हों लेकिन जब भारत के हित की बात आए तो हम एक स्वर में बात करें.

जब यहां दुनिया भारत की नीतियों पर मुहर लगा रही थी तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत से कहीं दूर मोदी सरकार की नीतियों और लोकतांत्रिक व्यवस्था की छीछालेदर करने में लगे थे. आज जी 20 का भारत ने जिस तरह से आयोजन किया उसकी भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है, होनी भी चाहिए. जब हम अगले लोक सभा चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, भारत में स्वस्थ राजनीतिक विमर्श को आगे बढ़ाना चाहिए.

कम से कम प्रयास तो करना ही चाहिए

आप जब तस्वीरों में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देखते हैं या तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को पीएम मोदी और जो बाइडेन को देखते हैं तो एहसास होता है कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया कितनी समावेशी है. लोकतंत्र का जिम्मा सिर्फ नेताओं के ऊपर नहीं है, मास मीडिया की भी बहुत बड़ी भूमिका है. पक्ष और विपक्ष में जितना संवाद होगा, जितनी कटुता कम होगी, ब्रांड भारत उतना मजबूत होगा।

Tags: Bihar News, Hemant soren, M. K. Stalin, Narendra modi, Nitish kumar

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