पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए चल रही उठापटक में नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो ने बीच का रास्ता निकाल लिया है लेकिन उस रास्ते में इमरान खान अब भी बड़ी अड़चन बनकर खड़े हैं। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के वरिष्ठ नेता लतीफ खोसा ने गठबंधन सरकार के गठन के लिए प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों में वार्ता के बीच कहा है कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बिना कोई लोकतंत्र स्थापित नहीं हो सकता और पाकिस्तान में कोई सरकार नहीं बन सकती। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच सत्ता बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत किए जाने की खबरों पर हैरानी जताते हुए लतीफ खोसा ने इसे मजाक करार दिया कि विरोधी राजनीति दल इस तरह का प्रस्ताव रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्रिकेटर से नेता बने और पीटीआई संस्थापक इमरान खान (71) को वापस लाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘वे कौन होते हैं- जिन्हें जनता ने नकार दिया है -आपस में बांटने वाले…कोई भी असेंबली या संसद इमरान खान के बिना नहीं चल सकती। इमरान खान के बिना कोई लोकतंत्र स्थापित नहीं हो सकता और कोई सरकार नहीं बन सकती।’’ ‘डॉन’ अखबार ने खोसा के हवाले से कहा, ‘‘इसलिए इस गलतफहमी को दूर कर लीजिए कि इमरान के बिना वे कोई लोकतंत्र या सरकार चला पाएंगे। आपको इमरान खान को वापस लाना ही पड़ेगा।” उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव में सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनकर उभरने वाली पार्टी को सरकार गठन का अधिकार दिया जाता है। और चूंकि हमारी सबसे बड़ी पार्टी है तो वह प्रधानमंत्री बनेंगे। और कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता है।”
हम आपको यह भी बता दें कि इमरान खान की पार्टी ने केंद्र तथा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में सरकार बनाने की रणनीति तैयार करने के लिए विशेष समितियां बनायी हैं। समितियों द्वारा प्रस्तावित सिफारिशों और रणनीतियों के अनुसार, पार्टी की कोर समिति की बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों ने सरकार और संसद के महत्वपूर्ण पदों पर नामांकन की प्रक्रिया जल्द पूरी करने पर सहमति जतायी।
दूसरी ओर, बिलावल भुट्टो के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) में गठबंधन सरकार में शामिल होने और विपक्ष में बैठने के मुद्दे पर अलग-अलग राय है। दरअसल, पाकिस्तान में हाल में संपन्न संसदीय चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति (सीईसी) ने चुनाव के बाद के परिदृश्य और गठबंधन के प्रस्तावों पर विचार-विमर्श करने के लिए इस्लामाबाद में बैठक की। इस बैठक में तय किया गया इमरान खान की पीटीआई समर्थित निर्दलीयों सहित सभी राजनीतिक दलों से, सत्ता साझा करने के संभावित समझौते के लिए संपर्क किया जाएगा। बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीनेटर शेरी रहमान ने कहा, “पीपीपी सभी (राजनीतिक) पार्टियों से संपर्क करेगी और एक समिति का गठन किया जाएगा।” बताया जा रहा है कि बिलावल की पार्टी के नेता इस बात पर अंतिम निर्णय पर पहुंचने में विफल रहे कि पीपीपी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के साथ गठबंधन सरकार बनाए या पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के टिकट पर निर्वाचित निर्दलीय विधायकों के साथ विपक्ष में बैठे। एक सूत्र ने कहा, “पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) आसिफ जरदारी पर सत्ता-साझाकरण पर सहमत होने के लिए दबाव डाल रही है, जहां प्रधानमंत्री पद साझा करने पर भी चर्चा हुई है।” उनके अनुसार, यह बातचीत चल रही है कि आधे कार्यकाल तक शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने रहें और फिर शेष कार्यकाल में बिलावल भुट्टो यह जिम्मेदारी संभालें। सूत्र ने पुष्टि की कि विदेश मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब के मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख पदों के लिए किन लोगों को नामित किया जाएगा, इस पर अभी भी मतभेद है।
दूसरी ओर पीएमएल-एन के सूत्रों ने कहा, ‘‘प्रस्ताव रखा गया है कि पीएमएल-एन का एक उम्मीदवार तीन साल के लिए प्रधानमंत्री रहेगा और पीपीपी का नेता दो साल इस पद पर रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि पहला कार्यकाल किसे मिलेगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई है जिसमें पीपीपी के संसदीय अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी, पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी और पीएमएल-एन से पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शामिल हुए। इसी बैठक में सत्ता साझेदारी का फॉर्मूला तैयार हुआ। हम आपको बता दें कि पीएमएल-एन और नेशनल पार्टी ने 2013 में बलूचिस्तान में सत्ता साझेदारी के इसी फॉर्मूले को अपनाया था। सूत्रों ने कहा कि लाहौर में बिलावल के आवास पर रविवार को हुई बैठक में दोनों पक्षों ने आम चुनाव के बाद देश की राजनीतिक स्थिरता के लिए सहयोग के सिद्धांत पर सहमति जताई। पीपीपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी इस मांग से पीछे नहीं हट रही कि बिलावल भुट्टो जरदारी को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए।
इस बीच, पाकिस्तान में एक नई मुश्किल यह खड़ी हो गयी है कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी शायद देश के नए प्रधानमंत्री को शपथ नहीं दिला पाएंगे क्योंकि उनके उत्तराधिकारी का चुनाव अगली संघीय सरकार के गठन से पहले हो जाएगा। एक खबर में यह दावा किया गया। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने खबर प्रकाशित की कि नव निर्वाचित नेशनल असेंबली के सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह सदन का उद्घाटन सत्र बुलाने की समय सीमा से तीन दिन पहले 26 फरवरी को हो सकता है। बताया जा रहा है कि सीनेट के 53 सदस्यों, अध्यक्ष/उपसभापति का चुनाव और इसके परिणामस्वरूप देश के राष्ट्रपति का चुनाव 8 मार्च से पहले होना है। सूत्रों ने कहा कि यदि राष्ट्रपति का चुनाव एक सप्ताह पहले कराया जाए तो अल्वी के बजाय नये राष्ट्रपति नव निर्वाचित प्रधानमंत्री को शपथ दिला सकते हैं।