Nauradehi Sanctuary : नौरादेही अभयारण्य में स्पेशल गश्त ! बारिश के कारण जंगल के अंदर जाना हुआ मुश्किल

अनुज गौतम/सागर. मध्य प्रदेश के तीन जिले सागर, दमोह और नरसिंहपुर में फैला नौरादेही अभ्यारण्य में जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए और अधिक सख्ती कर दी गई है. यहां पर मानसून के सीजन के चलते यह सतर्कता बढ़ती जा रही है. पूरे स्टाफ को अलर्ट पर रखा गया है. रात में भी यहां पर निगरानी की जा रही है. किसी भी प्रकार की कोई चूक ना हो.

इसके लिए 100 से अधिक और कर्मचारी जगह-जगह पर तैनात किए गए हैं. नौरादेही अभ्यारण प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य है. अभी तक यहां पर हाथी दल वाहन गस्ती सहित 165 अधिकारी कर्मचारी थे. अब इनकी संख्या 265 हो गई है. लेकिन बारिश होने की वजह से ना तो हाथी दल जंगल के अंदर जा पा रहा है और ना ही वाहन जा पाते हैं. और विजिबिलिटी भी कम हो जाती है. इसलिए कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाया गया है.

200 प्रजाति के पक्षी है मौजूद
बता दें कि इस अभ्यारण्य में इंडिया ग्रे नस्ल के सबसे अधिक भेड़िया पाए जाते हैं. अभ्यारण्य के अंदर मौजूद तालाबों में मगरमच्छों की भी उपस्थिति है. पिछले महीना में पक्षियों के हुए सर्वे में करीब 200 प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी मिली थी. जिसमें कई दुर्लभ किस्म के पक्षी भी यहां पर थे. वहीं सबसे बड़ी और अच्छी बात यह है कि यहां पर 15 बाघों का भी बसेरा है.

टेरिटरी की लड़ाई में बाघ किशन की मौत
साल 2018 में बाघ पुनरुत्थान प्रोजेक्ट के तहत यहां पर सबसे पहले बाघिन राधा को लाया गया था. फिर उसका जोड़ीदार किशन आया था जिनको यहां का वातावरण काफी रास आया था. और महज 5 साल में ही इनका कुनबा 16 पर पहुंच गया था. लेकिन पिछले दिनों दो बाघों के बीच में हुई टेरिटरी की लड़ाई में बाघ किशन की मौत हो गई थी. वह इसके अलावा चिंकारा, चीतल, नीलगाय जैसे भी अलग-अलग प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं.

मध्य प्रदेश का होगा सातवां टाइगर रिजर्व
बता दें कि अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का काम भी जोरों पर चल रहा है. यहां पर कोर बफर जॉन को लेकर NTCA की सहमति हो चुकी है. अब केवल घोषणा होने की देर है. नवरात्रि अभ्यारण के 1200 एकड़ क्षेत्रफल और दमोह में स्थित 300 एकड़ में फैले रानी दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर नए टाइगर रिजर्व को बनाया जा रहा है. यह प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व होगा.

वन्य प्राणियों की सुरक्षा अहम
नौरादेही अभ्यारण्य के डीएफओ डॉक्टर ए ए अंसारी ने बताया की मानसून के सीजन में विजिबिलिटी कम हो जाती है. झाड़ियां बढ़ जाती हैं ऐसे में वन्य प्राणियों की सुरक्षा करना जरूरी होता है इसीलिए गश्ती दल बढ़ाकर सतर्कता बरती जा रही है.

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