इस मंदिर के हॉल से सटी हुई सफेद दीवारें है, जिसे मनोकामना दीवार कहा जा रहा है। यह दीवार कोटा में कोचिंग रहे स्टूडेंट्स के भीतर पनपे दबाव की गवाह बन रही है। इस दीवार पर किशोर अपने मन की बात लिख रहे हैं। एक छात्र ने इस दीवार पर लिखा है कि ‘मेरे माता-पिता की रक्षा करना प्रभु और मेरी एक छोटी सी मनोकामना को पूरा करना और मेरी वजह से कोई दुखी ना रहे’ । ऐसी ही एक ओर विश एक स्टूडेंट ने लिखी है ‘प्लीज गॉड मुझसे ये हो नहीं सकता, मेरे लिए इसे पॉसिबल कर दीजिए’। इन लाइनों से समझा जा सकता है कि स्टूडेंट्स का तनाव किस स्तर पर है।
पैरेंट्स और टीचर का प्रेशर
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में बिहार की गर्ल स्टूडेंट से जब पूछा गया कि कोटा में छात्र इतने दबाव में क्यों हैं तो उसने कहा कि सर, यह प्रेशर है, माता-पिता का प्रेशर। जब हम कोटा आते हैं तो हमें अहसास होता है कि प्रेशर किसे कहते हैं। कम से कम हम दिन में 12 से 14 घंटे पढ़ते हैं। इसके कारण हर ओर से कट जाते हैं। फिर भी जब हमारा स्कोर खराब होता है तो हमें अपने माता-पिता के बारे में बुरा लगता है। वे गरीब हैं और हमारा भविष्य बनाने के लिए बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं। स्टूडेंट्स यह भी मानते हैं कि कई बार कुछ टीचर्स भी ऐसा कुछ कह जाते हैं जो आहत करने वाला होता है, जो नेगेटिव थॉट्स देता है।
45 छात्रों के मन में आत्महत्या करने का आया विचार
कोटा में 55 दिन के भीतर 8 आत्महत्या की घटनाओं के बाद सबका दिल दहल गया। इस बीच कोटा में जिला प्रशासन की ओर से 22 जून को अभय कमांड सेंटर की विशेष सेल स्थापित की गई। जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना है। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर स्थापित किया गया। इस दौरान अभय कमांड सेंटर की हेल्पलाइन से जो आंकड़े मिले है, उससे एक बार तो आपका दिल भी कांप उठेगा। अभय कांड सेंटर में स्थापित की गई हेल्पलाइन पर 45 छात्रों ने फोन से संपर्क किया। जिसमें उन्होंने बताया कि उनके मन में आत्महत्या करने के विचार आ रहे हैं। हेल्पलाइन डेस्क से मिली जानकारी के अनुसार 45 छात्र बोले – हम जीना नहीं चाहते। इस दौरान हेल्पलाइन में उन छात्रों से काउंसलिंग कर उनके नेगेटिव विचारों से लड़ने के लिए उन्हें सशक्त रूप से तैयार किया। लेकिन इन आंकड़ों के खुलासे ने बच्चों के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।