ISRO में सिलेक्शन होने के बाद गांव पहुंचे आशीष, चंद्रयान-3 पर कही बड़ी बात

गुलशन सिंह, बक्सर: जिला के ब्रह्मपुर गांव निवासी भरत भूषण सिंह के पुत्र आशीष भूषण सिंह महज 22 वर्ष की उम्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र यानी इसरो (ISRO) में वैज्ञानिक बन गए हैं. इसरो में योगदान देने के उपरांत पहली बार अपने पैतृक गांव ब्रह्मपुर पहुंचे आशीष भूषण को बधाइयां मिल रही है. घर पर आशीष को मां किरण देवी, पिता भरत भूषण सिंह, दादा मार्कंडेय सिंह, मामा संजीव सिंह, पंकज सिंह सहित अन्य स्नेहीजनों ने मिठाई खिलाकर उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी है. इस दौरान आशीष ने लोकल 18 से बातचीत के क्रम में बताया कि इसरो में ज्वाइन करने के बाद गर्व महसूस हो रहा है कि देश की सेवा करने के लिए बचपन में जो सपना देखा था, वह साकार हो रहा है.

आशीष भूषण ने बताया किस मिशन पर करेंगे काम
आशीष भूषण बताया कि इसरो के चीफ से लेकर तमाम बड़े वैज्ञानिकों से मिला और उनसे बातें करने बाद बहुत कुछ सीखने को मिला. आशीष ने बताया कि फिलहाल प्रशिक्षु के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में इसरो के बहुत से मिशन में काम करने का मौका मिलेगा. उन्होंने बताया कि विद्यार्थी जीवन में ही अपना लक्ष्य निर्धारित किया था वैज्ञानिक ही बनना है. उसी समय से मन में एक मिशन है, जिसपर भविष्य में काम करना चाहेंगे.

उन्होंने बताया कि मिशन है कि जिस तरह से पृथ्वी पर जीवन जीया जा सकता है, उसी तरह कुछ ऐसा अनुसंधान करें कि आने वाले 100-200 साल में दूसरे ग्रहों पर भी जीवन को संभव किया जा सके. वही चंद्रयान-3 की सफलता पर आशीष ने बताया कि इसके पीछे यही वजह रही कि देश के वैज्ञानिकों ने इस बार फेलियर मैकेनिज्म पर मिशन को अंजाम दिया. इसके चलते चंद्रयान-3 मिशन सफल हुआ. इसका मतलब यह होता है कि यदि सबकुछ फेल हो जाता है तो इसके बाद भी चंद्रमा पर चंद्रयान-3 आसानी से लैंड कर सके.

सफलता के लिए सेल्फ स्टडी है जरूरी
आशीष ने बताया कि इसरो में जाने के लिए प्रतिदिन घर पर 8 घंटे तक सेल्फ स्टडी किया करते थे. उन्होंने बताया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है. जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को हर हाल में परिश्रम करनी होगी. आशीष ने बताया कि उसकी सफलता के पीछे उनके बड़े भाई राज भूषण सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, क्योंकि उन्हीं से हमेशा मेहनत करने की प्रेरणा मिलती थी. इसके अलावा माता-पिता व दादा के साथ ननिहाल का भी बहुत बड़ा योगदान रहा.

सभी से मिले हौसले के कारण हर चुनौतियों का सामना आसानी से कर सका. आशीष ने बताया कि बचपन में पांच साल तक गांव पर रहा. इसके बाद पटना चला गया. वहीं लोयला स्कूल में प्रारम्भिक शिक्षा हुई. इसके बाद सत्यम इंटरनेशनल स्कूल गौरीचक पटना से मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवंतपुरम में दाखिला लिया. वहीं से स्पेस साइंस में बीटेक की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 2022 में गेट की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर इसरो में चयनित हुआ.

Tags: Bihar News, Buxar news, Chandrayaan-3, ISRO, Local18

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