Innovation : 14 साल के ऋषभ ने टोटी में एरेटर लगाने के आइडिया से बचाया 70 लाख लीटर पानी

नई दिल्ली. जल ही जीवन है. बिन पानी सब सून. बचपन से हम यह बातें सुनते हैं आए हैं लेकिन 14 वर्षीय ऋषभ पर इसका गहरा असर पड़ा. जल संकट से निपटने के लिए ऋषभ ने ऐसी तरकीब अपनाई, जिससे महज एक साल में 70 लाख लीटर पानी की बचत हो गई. यही नहीं, घरों में पानी का बिल भी 30 प्रतिशत कम हो गया.
बेंगलुरु के नेशनल एकेडमी फॉर लर्निंग के कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले 14 वर्षीय छात्र ऋषभ प्रशोभ ने जल मिशन शुरू किया है. इसके तहत ऋषभ ने दो होटल, अपने स्कूल और अपनी हाउसिंग सोसाइटी के नलों में एरेटर’ लगाया. एरेटर छोटे मैकेनिकल डिवाइस होते हैं, जिसे नल में फिट किया जाता है. ये हवा को पानी से मिलाते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि नल से आने वाले पानी का बहाब स्थिर रहे, फिर प्रेशर चाहे जैसा भी हो. जो नल प्रति मिनट 15 लीटर पानी की सप्लाई करते हैं, उनमें अगर एरेटर लगाया जाए तो यह पानी की सप्लाई को छह लीटर प्रति मिनट तक कम कर देता है. ये डिवाइस एक महीने में 1,274 लीटर पानी बचा सकते हैं.

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इस तरह आया आइडिया
साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन, ‘1मिलियन फॉर 1बिलियन’ (1M1B) की एक सामाजिक पहल में ऋषभ ने भाग लिया. यहां उन्होंने पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों का अध्ययन किया. द बेटर इंडिया ने इस विषय पर आलेख प्रकाशित किया है. वेबसाइट को ऋषभ ने बताया कि वायु प्रदूषण जैसे बहुत से मुद्दों पर पढ़ा, लेकिन पानी की कमी एक ऐसी समस्या थी, जिसे बेंगलुरु में खुद देखा है. यहां बहुत से तालाब सूख रहे हैं और बहुत से घरों में भी पानी की समस्या है. इसके बाद जमीनी स्तर पर इस समस्या को समझने के लिए, ऋषभ ने बेंगलुरु के कई संगठनों, एक्टिविस्ट और जल-संरक्षकों से बात की. उन्होंने समझा कि बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ, पानी की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन इसकी आपूर्ति मांग से काफी कम है. इसलिए, इस समस्या का एक ही हल है कि पानी की खपत को कम किया जाए.
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एरेटर के जरिए किचन के सिंक से प्रति मिनट 3 से 4 लीटर पानी की बचत संभव
ऋषभ ने जब शोध किया तो पाया कि घरेलू स्तर पर, पानी की खपत को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि पानी के नल में एरेटर की फिटिंग की जाए. आमतौर पर, हमारी रसोई की सिंक और बाथरूम में लगे नल से प्रति मिनट 6 लीटर पानी निकलता है और एरेटर द्वारा इसे 3 या 4 लीटर तक कम कर सकते हैं. इसकी टेस्टिंग के लिए ऋषभ ने बेंगलुरु में अपनी दादी के घर में एक एरेटर लगाया. वह अपने घर में एरेटर नहीं लगा पाए क्योंकि उनकी बिल्डिंग में, 17 घरों के पानी का बिल इकट्ठा आता है. जिसे सबमें बांटा जाता है. ऐसे में, वह पानी में हो रही बचत और बिल में कटौती का सही अनुमान नहीं कर पाते.

दादी के घर में सिर्फ एक महीने में पानी का बिल 30 प्रतिशत कम हुआ
ऋषभ के मुताबिक सिर्फ एक एरेटर की फिटिंग के एक महीने बाद ही हमने दादी के घर के पानी के बिल में 30% तक की कटौती देखी. पहले उनका बिल लगभग 340 रुपए आता था लेकिन यह घटकर 250 रुपए हो गया. इसके बाद अपनी हाउसिंग सोसाइटी के रेजिडेंट्स एसोसिएशन से संपर्क किया और यह समाधान दिया. फिर हर एक अपार्टमेंट में दो एरेटर फिट किए गए. प्रत्येक घर ने एरेटर के लिए पैसे दिए, जिसकी कीमत लगभग 300 रुपये प्रति यूनिट थी. ऋषभ बताते हैं कि इससे एक साल के भीतर ही सोसाइटी में पानी की खपत कम हो गई और 20 लाख लीटर पानी की बचत हो गई. इसके बाद ऋषभ ने केरल के कोचीन में दो मैरियट होटलों से संपर्क किया. यहां भी साल में ही दोनों होटलों ने लगभग 50 लाख लीटर पानी की बचत की.

इस साल एक करोड़ लीटर पानी बचाने का लक्ष्य
अपनी इस कामयाबी पर ऋषभ ने अपने स्कूल की प्रिंसिपल इंदिरा जयकृष्णन से संपर्क किया. ऋषभ के विचार ने स्कूल की पहल को और आगे बढ़ाया है. साल 2021 में, ऋषभ अपनी इस पहल को और अधिक स्कूलों, होटलों, शहर भर के सिनेमाघरों और मॉल्स तक पहुंचाने की उम्मीद कर रहे हैं. उनका उद्देश्य, शहर में एक करोड़ लीटर पानी बचाने में मदद करना है.

Tags: Water conservation, Water Crisis

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