Explainer: इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर क्यों जरूरी? कितनी आएगी लागत और भारत को क्या होगा फायदा?

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर 6 हजार किमी लंबा होगा, जिसमें 3500 किमी समुद्र मार्ग शामिल है. NDTV के एक्सप्लेनर में आइए जानते हैं आखिर क्यों जरूरी है इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर? इससे भारत को क्या होगा फायदा:-

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का महत्व

भारत, मध्य पूर्व और अमेरिका के बीच जहाज और रेल नेटवर्क की बात सबसे पहले मई में सऊदी अरब में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के दौरान सामने आई थी. इस कॉरिडोर के लिए भारत, अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने समझौता किया है. इस कॉरिडोर के बनने से जल और रेल मार्ग के जरिए व्यापार, ऊर्जा और संचार क्षेत्र में क्रांति आएगी. ये कॉरिडोर भारत और यूरोप को और पास लाएगा. व्यापार सस्ता और तेज़ होगा. 

कैसे बनेगा कॉरिडोर?

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर दो हिस्सों में बनेगा. पहला हिस्सा पूर्वी कॉरिडोर होगा, जो भारत और पश्चिम एशिया को जोड़ेगा. दूसरा हिस्सा उत्तरी कॉरिडोर होगा, जो पश्चिमी एशिया को यूरोप से जोड़ेगा. इससे दक्षिण पूर्व एशिया से यूरोप तक व्यापार में आसानी हो जाएगी. 

कॉरिडोर के बनने से समय में कितनी बचत होगी?

कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में करीब 40% समय की बचत होगी. अभी भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैं, इस रूट से 14 दिन की बचत होगी. यूरोप तक सीधी पहुंच से भारत के लिए आयात-निर्यात आसान और सस्ता होगा.

कॉरिडोर का रूट क्या होगा?

संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल से मौजूदा मल्टी मोडल ट्रांसपोर्टेशन के साथ ही ट्रांज़िट रेल नेटवर्क इसका रूट होगा. इसके लिए रेल और जल मार्ग का नया विस्तार होगा. इंटरनेट के लिए समुद्र के नीचे नए केबल बिछाए जाएंगे.

कॉरिडोर पर कितना आएगा चर्चा?

यूरोपीय यूनियन ने 2021-27 के दौरान बुनियादी ढांचे के खर्च के लिए 300 मिलियन यूरो निर्धारित किए थे. भारत भी इसका भागीदार बना.

भारत को इससे क्या फ़ायदा? 

भारत इस कॉरिडोर के केंद्र में रहेगा. इससे लॉजिस्टिक, इंफ्रा और संचार और ग्रीन हाईड्रोजन का विस्तार होगा. रोज़गार के नए अवसर और नई सप्लाई चेन तैयार होंगे. मेक इन इंडिया, भारतमाला और आत्मनिर्भर भारत में सहयोग मिलेगा.

चीन को मात कैसे मिलेगी?

इस कॉरीडोर को चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का जवाब माना जा रहा है. भारत बीआरआई का हिस्सा नहीं है. पाकिस्तान, केन्या, जांबिया, लाओस, मंगोलिया चीन के कर्ज के जाल में फंसे हैं. यूएई और सऊदी अरब की चीन से बढ़ती नज़दीकी का भी जवाब मिलेगा.

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