दरअसल, ईडी ने एमवे और उसके डायरेक्टरों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत तेलंगाना पुलिस द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि एमवे सामान की बिक्री की आड़ में एक अवैध ‘मनी सर्कुलेशन स्कीम’ को बढ़ावा दे रहा है.
ऐसे होती है धोखाधड़ी
एक बार जब नए सदस्य को किसी ऐसे व्यक्ति के माध्यम से पैसे देने के लिए राजी कर लिया जाता है, जिसने उसे कंपनी में भेजा है, तो वह एक प्रतिनिधि बन जाता है. फिर कमीशन लेने के लिए उसे नए सदस्यों को नॉमिनेट करना पड़ता है. इस तरह से ये चेन चलती रहती है. जितने नॉमिनेशन उतना ही कमिशन बढ़ता जाता है.
जितने नॉमिनेशन उतना ही कमिशन
इस तरह एमवे एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कीम ऑपरेट कर रहा है. मनी सर्कुलेशन स्कीम के जरिए ग्राहकों से बड़ी रकम जुटाई गई है. इस धोखाधड़ी से एमवे ने कुल 4050.21 करोड़ रुपये की कमाई की है.
ईडी ने जब्त किए 757.77 करोड़ रुपये
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि कंपनी के सदस्यों से एकत्रित 2859 करोड़ रुपये डिविडेंट, रॉयल्टी और दूसरे खर्चों के पेमेंट के नाम पर विदेशी निवेशकों के बैंक अकाउंट में जमा कर दिए गए हैं. जांच के दौरान करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति बरामद हुई. इस मामले में ईडी ने 757.77 करोड़ रुपये जब्त किये हैं. मामले की जांच जारी है.
एमवे इंडिया ने जारी किया बयान
पूरे मामले पर एमवे इंडिया बयान जारी किया है. एमवे इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, “वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर की गई अभियोजन शिकायत 2011 की जांच से संबंधित है. तब से हम विभाग के साथ सहयोग कर रहे हैं. हमने एजेंसी को समय-समय पर मांगी गई सभी जानकारी साझा की है. जब से एमवे ने 25 साल पहले भारत में अपना ऑपरेशन शुरू किया था, तब से यह कानूनी और नियामक अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है.”
कंपनी ने कहा, “हम अपने कानूनी अधिकारों और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए भारतीय न्यायिक प्रणाली में अपने निरंतर विश्वास को दोहराना चाहते हैं.”
कंपनी ने आगे कहा, “एमवे को भारत में अपने समृद्ध इतिहास पर गर्व है. वह खुद के साथ-साथ 2,500 से अधिक कर्मचारियों और 5.5 लाख से अधिक स्वतंत्र वितरकों की रक्षा करेगा; जो लोगों को स्वस्थ, बेहतर जीवन जीने में मदद करने के उसके मिशन के लिए महत्वपूर्ण हैं.”
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