छत्तीसगढ़ में महिलाएं पापड़ से कर रही बंपर कमाई, आर्थिक जिम्मेदारियों का उठा रही जिम्मा

रामकुमार नायक/रायपुरः छत्तीसगढ़ के गांव में कई महिलाएं पापड़ बनाकर आर्थिक तौर से सशक्त हो रही हैं. स्थानीय स्तर पर तैयार किए गए पापड़ की खपत भी आस-पास के बाजार में होने से इन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है. लेकिन हां, एक चुनौती यह जरुर है कि इसकी खपत ब्रांडेड पापड़ की खपत से अधिक छोटा है. ग्रामीण इलाकों में भी ब्रांडेड पापड़ की डिमांड से इन महिलाओं के आत्मबल में प्रतिकूल असर जरुर पड़ता है. इसके बाद भी कई हुनरमंद महिलाएं चूल्हा-चौका के अलावा इस कारोबार से जुड़कर पारिवारिक और आर्थिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही है.

भारतीय नारी शक्ति सहकारी समिति छत्तीसगढ़ और बिहान से जुड़कर, महिलाएं स्वरोजगार की नया आयाम लिख रही हैं. भारतीय नारी शक्ति सहकारी समिति छत्तीसगढ़ की अध्यक्ष हरिता पटेल ने बताया कि सरायपाली ब्लॉक के रिमजी गांव की महिलाएं चावल का पापड़ बना रही हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र महासमुंद द्वारा रिमजी गांव की 35 महिलाओं को 10 दिवसीय निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण में महिलाओं को चावल पापड़, टमाटर पापड़,उड़द पापड़, मूंग पापड़, मशरूम पापड़, बेसन पापड़ और आटा पापड़ बनाने के बारे में सिखाया गया.

पापड़ से बंपर कमाई
चावल पापड़ बनाने के लिए पहले चावल को भिगोते और आटा तैयार करते हैं. फिर धीमी आंच में पकाते फिर छोटे छोटे आकार के पापड़ बनाकर सुखाते हैं. महिलाएं घर का सभी काम खत्म कर मात्र एक दो घंटे ही पापड़ बनाने का काम करती हैं, जिसमें 5 से 10 किलो पापड़ तैयार हो जाता है. राजधानी रायपुर, महासमुंद के सी मार्ट के अलावा अन्य रिटेलर और थोक विक्रेताओं के माध्यम से पापड़ बेचा जाता है. ग्राहक डायरेक्ट महिला समूह से संपर्क कर भी चावल पापड़ खरीद सकते हैं.महिलाओं को प्रति किलो पापड़ में 80 – 100 रुपए का मुनाफा होता है. जिससे महीने में 10 हजार रुपए तक कि आमदनी आसानी से हो जाती है.

पापड़ बनाने की विधि
चावल पापड़ बनाने के लिए नमक, जीरा और चावल का इस्तेमाल होता है, लिहाजा कम लागत लगाकर महिलाओं की अच्छी आमदनी हो रही है. रिमजी गांव की महिलाएं अब आर्थिक मदद के लिए किसी के सामने हाथ नहीं पसारती हैं. अपनी हुनर के दम पर वह पापड़ बनाकर आर्थिक लाभ कमा रही है.

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