लवली को कांग्रेस नेतृत्व ने ऐसे समय दिल्ली प्रदेश की कमान सौंपी है जब पार्टी राष्ट्रीय राजधानी में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस को दिल्ली में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली। अध्यक्ष के तौर पर लवली के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली में कांग्रेस के खोये जनाधार को वापस हासिल करने की होगी।
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बृहस्पतिवार को दिल्ली के अपने संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली को राज्य इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 54 वर्षीय लवली को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। लवली ने चौधरी अनिल कुमार का स्थान लिया है। अनिल कुमार ने मार्च 2020 में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी।
दिसंबर, 2022 में हुए दिल्ली नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस को 250 सदस्यीय निगम में सिर्फ नौ सीटें मिली थीं, जबकि आम आदमी पार्टी 134 सीटों के साथ पहले और भारतीय जनता पार्टी 104 सीटें के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। निगम चुनाव में कांग्रेस के इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से अनिल कुमार के स्थान पर किसी अन्य नेता को नियुक्त किए जाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। पार्टी नेतृत्व ने हाल ही में दीपक बाबरिया को दिल्ली का प्रभारी नियुक्त किया था। शीला दीक्षित की सरकार में बतौर मंत्री कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले लवली इससे पहले दिसंबर 2013 से फरवरी 2015 तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
लवली को कांग्रेस नेतृत्व ने ऐसे समय दिल्ली प्रदेश की कमान सौंपी है जब पार्टी राष्ट्रीय राजधानी में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस को दिल्ली में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली। अध्यक्ष के तौर पर लवली के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली में कांग्रेस के खोये जनाधार को वापस हासिल करने की होगी। इसके साथ ही उनके सामने एक और चुनौती लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल की गुंजाइश बनाए रखने की भी होगी। लवली पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर विधानसभा क्षेत्र से 1998 से 2013 तक लगातार विधायक रहे। वर्ष 2003 से 2013 तक शीला दीक्षित की सरकार में वह मंत्री रहे। उन्होंने शिक्षा, परिवहन, शहरी विकास और राजस्व जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
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