CM Gehlot ने बार-बार Rajasthan आने पर साधा था निशाना, VP Jagdeep Dhankhar ने दिया करारा जवाब

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अपनी एक अनोखी शैली है। यदि कोई उन पर राजनीतिक हमला करता है तो वह बकाया नहीं रखते। उपराष्ट्रपति के लगातार राजस्थान दौरों पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निशाना साधा तो जगदीप धनखड़ ने अगले ही दिन कह दिया कि राजनीतिक कारणों से संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं जो गंभीर चिंता का विषय है। नालंदा विश्वविद्यालय में एक खुले सत्र में विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध कोई प्रतिकूल टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ”राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए हमें संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। यह स्वीकार्य नहीं है। संवैधानिक संस्थाएं कुछ राजनीतिक कारणों से आपत्तिजनक टिप्पणियों का सामना कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। संवैधानिक संस्थानों की शुचिता का सम्मान किया जाना चाहिए।” उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं सभी लोगों से आग्रह करता हूं कि संवैधानिक संस्थाओं के मामले में जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करें। संवैधानिक संस्थाओं के बारे में कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है।”

हम आपको एक बार फिर बता दें कि उपराष्ट्रपति की यह टिप्पणी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा हाल ही में उपराष्ट्रपति के लगातार प्रदेश के दौरों को लेकर किए गए तंज की पृष्ठभूमि में आई है। राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गहलोत ने बृहस्पतिवार को एक रैली में कहा था, ‘कल उपराष्ट्रपति आए और पांच जिलों का दौरा किया। इसका क्या औचत्य है? जल्द ही चुनाव होने हैं..अगर आप इस दौरान आएंगे तो इसके अलग-अलग अर्थ और संदेश होंगे, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा।’ बाद में पत्रकारों से बातचीत में गहलोत ने कहा था कि अब, केवल राष्ट्रपति का आना बाकी है।’

बहरहाल, धनखड़ ने नालंदा विवि में अपने संबोधन में कहा कि एक दशक पहले भारत को विश्व की ‘पांच कमज़ोर’ अर्थव्यवस्थाओं में रखा जाता था, लेकिन अब देश दुनिया की ‘पांच बड़ी’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और “यह छोटी उपलब्धि नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि अफ्रीकी संघ को जी20 की सदस्यता दिलाना भारत के लिए बड़ी कामयाबी है। धनखधड़ ने कहा, ”यह स्वतंत्रता, मानवाधिकार, विश्व की एकता, वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए बड़ी उपलब्धि है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि नालंदा अपने ज्ञान और शिक्षा के अनूठे ब्रांड की वजह से दुनिया भर में जाना जाता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, “नालंदा का इतिहास और इसकी समृद्ध विरासत इसे दुनिया में पहचान दिलाती है। आपको इस विरासत को उच्चतर स्तर पर ले जाना है। भारत में अब एक ‘ईकोसिस्टम’ उभरा है जो आपको आपकी ऊर्जा, प्रतिभा और क्षमताओं का पूरी तरह से इस्तेमाल करने और सपने साकार करने की इजाजत देता है।” धनखड़ ने कहा, ”जिज्ञासु बनें, भले ही आप नालंदा को छोड़ दें लेकिन कभी भी सीखना बंद मत कीजिएगा। दूसरों के विचारों का सदैव सम्मान करें। मेरा अनुभव कहता है कि कभी-कभी दूसरे का दृष्टिकोण सही होता है।” उन्होंने कहा कि शिक्षा से ज्ञान, सहनशीलता और मानव जाति के प्रति सम्मान की भावना पैदा होती है।

धनखड़ ने कहा, ”शिक्षा आपके ज्ञान का विस्तार करती है, जिससे आप गांव, राज्य या राष्ट्र के बारे में नहीं सोचते, बल्कि विश्व स्तर पर सोचते हैं।” उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भी प्रशंसा की और इसे एक स्थिति में आमूल चूल बदलाव लाने वाला करार दिया जिसने “हमें डिग्री के बंधन से मुक्त कर दिया है और बेकार के बोझ को दूर कर दिया है।” धनखड़ ने कहा, “एनईपी-2020 को भारत के लिए बनाया गया है, ताकि भारत ‘विश्व गुरु’ का स्थान दोबारा हासिल कर सके, मुझे यकीन है कि ऐसा होगा।” 

हम आपको यह भी बता दें कि उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के संग विश्वविद्यालय परिसर में एक पौधा भी लगाया। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र कुमार और कुलपति अभय कुमार सिंह ने परिसर पहुंचने पर उनका स्वागत किया। धनखड़ उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार बिहार के दौरे पर आए हैं। वह गया से नालंदा पहुंचे थे। गया हवाई अड्डे पर उनकी आगवानी राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने की। नालंदा की यात्रा पर आने से पहले धनखड़ ने अपनी पत्नी के साथ गया के विष्णुपद मंदिर में पूजा की और पितरों के लिए पिंड दान किया।

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