CJI चंद्रचूड़ के फैसले को पीएम मोदी का समर्थन, बिहार पॉलिटिक्स में खलबली! जानिए वोट फॉर नोट केस का कनेक्शन

पटना. सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि रिश्वतखोरी जैसे मामलों में सांसदों और विधायकों को अभियोजन (Prosecution) से कोई राहत नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंड‍िया के चीफ जस्‍ट‍िस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट नहीं होती है. इसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट का एक महान निर्णय लिया है, जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पीएम मोदी के समर्थन ने नेताओं की टेंशन भी बढ़ा दी है. खास तौर पर बिहार में इसको लेकर काफी गहमागहमी है.

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) रिश्वत मामले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए 1998 के फैसले को सर्वसम्मति से पलट दिया. उस वक्त इस फैसले में पांच न्यायाशीधों की पीठ ने सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट दी गई थी. लेकिन, अब प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं है और 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है.

बिहार की राजनीति पर पड़ेगा असर

संविधान पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों एवं विशेषाधिकारों से संबंधित हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पीठ के लिए फैसले का मुख्य भाग पढ़ते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में इन अनुच्छेदों के तहत छूट नहीं है क्योंकि यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट करती है. SC के फैसले के बाद अब संविधानिक और कानूनी मामलों के जानकार कह रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का प्रभाव बिहार की राजनीति पर भी पड़ेगा. खास तौर पर विपक्षी दलों के कुछ नेता इस फैसले से जांच की जद में आ सकते हैं.

पटना के कोतवाली थाने में केस

दरअसल, विगत 12 फरवरी को नीतीश सरकार के विश्वासमत के दौरान विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगे थे. इसको लेकर काफी हंगामा हुआ था और जदयू विधायक सुंधाशु शेखर ने अब आरजेडी नेताओं पर विधायकों के खरीद फरोख्त कने के मामले में केस दर्ज कराया है. बता दें कि सुधांशु शेखर का आरोप है कि जदयू के विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था. इसको लेकर जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने कोतवाली थाने में केस दर्ज करवाया था और 10 करोड़ में डील होने की लिखित शिकायत की थी. बाद में पटना एसएसपी राजीव मिश्रा ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर इस मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओयू से कराने का अनुरोध किया था.

हॉर्स ट्रेडिंग केस में कस सकता है शिकंजा

मिली जानकारी के अनुसार, आर्थिक अपराध इकाई ने हॉर्स ट्रेडिंग के इस मामले की जांच भी शुरू कर दी है. केस की जांच का आईओ डीएसपी लेवल के अफसर को बनाया गया है. बता दें कि सुधांशु शेखर का आरोप है कि जदयू के विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था. कोतवाली थाने में दर्ज प्राथमिकी में सुधांशु शेखर ने कहा है कि, जदयू विधायकों को 5 करोड़ रुपये पहले और 5 करोड़ रुपये बाद में देने का ऑफर दिया गया था. कोतवाली में दर्ज अपनी शिकायत में सुंधाशु शेखर ने यह भी कहा है कि जेडीयू विधायकों को पैसों के साथ-साथ मंत्री पद का भी लालच दिया गया था. हालांकि, फ्लोर टेस्ट में नीतीश कुमार की सरकार बच गई थी, लेक‍िन हॉर्स ट्रेडिंग का मामला फिर उठ गया था. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर ब‍िहार की राजनीति पर भी पड़ सकता है.

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