Bihar: पत्नी या बेटा ? सीवान सीट से शहाबुद्दीन के परिवार ने ठोकी ताल, जानें क्या है चुनावी गणित

सीवान. सीवान की गिनती बिहार के सबसे हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में होती है. एक वक्त था जब यहां केवल साहेब यानी शहाबुद्दीन की हुकुमत और सिक्का, दोनों ही चलता था लेकिन अब कहानी दूसरी है. शहाबुद्दीन इस दुनिया में नहीं रहे तो वहीं अब उनका परिवार राजनीतिक वजूद तलाश रहा है. शहाबुद्दीन का परिवार कभी राजद के सबसे करीबियों में था लेकिन फिलहाल उनका राजद से कोई लेना देना नहीं है. इन सब के बावजूद शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

सीवान में हुए एक कार्यक्रम में पहुंची हीना शहाब ने कहा कि मैं या बाबू यानी शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. मुझे सीवान के लोगों पर विश्वास है. उनसे और पूरे परिवार से राजद द्वारा दूरी बनाने की बात पर हीना ने कहा कि हमें राजद से पहले भी कोई नाराजगी नहीं थी आज भी कोई नाराजगी नहीं है लेकिन मैं अपने लोगों के बीच जा रही हूं और मैं या बेटा इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ेंगे.

4 बार के सांसद

सीवान की चर्चा दिवंगत सांसद मोह्म्मद शहाबुद्दीन के नाम से खूब होती है. राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन सीवान लोकसभा सीट से चार बार जीत का परचम लहरा चुके हैं. 1996 से लेकर लगातार 2004 तक वह पार्टी का परचम बुलंद करते रहे. बाहुबली शाहबुद्दीन लालू यादव के बहुत ही करीबी माने जाते थे. कोरोना काल में शहाबुद्दीन की निधन हो गया. शहाबुद्दीन की मौत के बाद भी सीवान के फिजा में शहाबुद्दीन नाम पर राजनीति होती रहती है. कोई उनके द्वारा किए विकास पर तो कोई उसके द्वारा किए गए अपराध पर राजनीति करता है.

दो बार विधायक और चार बार सांसद रहे शहाबुद्दीन

शहाबुद्दीन शहाब ने 1980 के दशक में महाविद्यालय से ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था. साल 1990 में  जीरादेई निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार बिहार विधान सभा के लिए निर्दलीय विधायक चुने गए जो 1995 तक रहे. इस दौरान लालू प्रसाद यादव से मुलाकात हुई और जनता दल में शामिल हुए और जनता दल के टिकट पर 1995 में दूसरी बार विधायक चुने गए जो 1996 तक रहे. इसी दौरान वे इस्तीफा देकर 1996 में ही जनता दल के टिकट पर 11 वीं लोकसभा का चुनाव लड़े और पहली बार सांसद चुने गए, जिसके बाद उनका कद बढ़या गया. इसके बाद उन्होंने साल 1998 में 12 वीं लोकसभा, 1999 में 13 वीं लोकसभा और 2004 में 14 वीं लोकसभा जीतकर 2009 तक सांसद रहे. 15 वीं लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने पर लोक लगा दी जिसके बाद पत्नी राजनीति में आई.

प्रतिबंध लगने के बाद राजनीति में हिना शहाब कि हुई एंट्री

चुनाव आयोग ने शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के बाद शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए सीवान सीट से टिकट दिया था. हांलाकि निर्दलीय उमीदवार ओम प्रकाश यादव ने 2009 में उन्हें 63000 हजार वोट से हरा दिया था. इसके बाद 2014 में बीजेपी के टिकट पर ओम प्रकाश ने 1 लाख से भी ज्यादा वोट से हीना को हरा दिया. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की उमीदवार कविता सिंह ने 116958 वोट से पराजित किया. अभी फिलहाल हीना शहाब के साथ एक बड़ा मुस्लिम तबका आज भी उनके साथ है.

राजद से दूरी

इधर कुछ दिनों से राजद से उनकी दूरियां हुई हैं लेकिन वो लगातार अपने लोगों के बीच जाती रही है. तेजस्वी की जन संवाद यात्रा में वो मंच पर नहीं दिखीं थीं. जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरा दूसरा जगह कार्यक्रम था उसमे मैं बिजी थी. वो अभी भी अपने लोगों के बीच जा रही हैं. हीना शहाब ने कहा कि हमें पहले भी राजद से कोई नाराजगी नहीं थी आज भी नहीं है लेकिन मैं या बाबू निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.

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