99% लोग नहीं बता पाएंगे पलामू का पुराना नाम, 150 साल पहले की पहचान आज भी कायम

शशिकांत ओझा/पलामू. कोयल नदी के तट पर पलामू का प्रशासनिक मुख्यालय डाल्टनगंज शहर अब मेदिनीनगर के नाम से जाना जाता है. हालाकि आज भी कई लोग इसे डाल्टनगंज के नाम से जानते है.लेकिन डाल्टनगंज शहर का नया नाम मेदिनीनगर है.वहीं ये शहर वर्ष 2017 से मेदिनीनगर नगर निगम के रूप में विकसित होना शुरू हुआ. मेदिनीनगर शहर पलामू जिला के साथ पलामू प्रमंडल मुख्यालय भी है.

पलामू जिला जिसके पूर्व में चतरा, पश्चिम में गढ़वा, उत्तर में बिहार की सीमा और दक्षिण में लातेहार है.यह जिला 1 जनवरी 1928 को अस्तित्व में आया उत्तर-पश्चिमी झारखंड का एक जिला है, जो पूर्व में जिले चतरा, पश्चिम में गढ़वा, दक्षिण में लातेहार और उत्तर में राज्य बिहार की सीमा पर स्थित है.जिसका मुख्यालय डाल्टनगंज 1861 में बना था.और इसका पुराना नाम बिरजाबाग था.जो की डाल्टनगंज बनने के 25 वर्ष बाद नगरपालिका के रूप में विकसित हुआ. जिसके 130 साल बाद मेदिनीनगर नगर निगम के रूप में अधिसूचित हुआ.

मगही समाज के आंदोलन ने दिलाया नया नाम
मगही समाज के तत्कालीन अध्यक्ष विश्वनाथ सिंह ने कहा कि डाल्टनगंज का नाम मेदिनीनगर कराने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. डालटनगंज को 1861 में छोटानागपुर के आयुक्त आयरिशमैन कर्नल एडवर्ड टुइट डाल्टन के नाम पर जाना जाने लगा. उसका नया नाम वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी द्वारा मेदिनीनगर रखा गया. जो की यहां के प्रतापी राजा मेदिनी राय के नाम पर रखा गया. मेदिनीनगर नाम होने के बाद इसी नाम से उप मंडल और प्रखंड भी है.

1984 में हुई थी आंदोलन की शुरुआत
उन्होंने बताया कि उनके गुरु आनंद मुक्ति 1984 में डाल्टनगंज आए थे. डाल्टनगंज शहर नाम होने पर आपत्ति जताते हुए कहे की डाल्टन जो की क्रूर शासक था. यहां के लोगों को परेशान, प्रताड़ित और मार पीट करना उसका काम था. उसी के नाम से डाल्टनगंज शहर का नाम क्यों है?. जबकि यहां के प्रतापी राजा मेदिनी राय जो की घर घर घूमा करते थे और जिस घर में सुबह शाम दूध दही का मल्हान नहीं चलता था.उस घर में गाय पहुंचाया करते थे.उनके नाम पर शहर होना चाहिए.तब मगही समाज द्वारा आंदोलन शुरू किया गया.

डाल्टनगंज का नाम हटाकर किया गया मेदिनीनगर
शुरुआत में इस समाज द्वारा शहर में लिखे डाल्टनगंज के जगह पर मेदिनीनगर लिख दिया करते थे. कई वर्षो तक ऐसा हीं होता रहा. तब तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा डाल्टनगंज आए. कांग्रेसियों द्वारा मेदिनीनगर नाम करने का प्रस्ताव रखा गया. लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया.उसके बाद भी आंदोलन जारी रहा.और वर्ष 2003 में झारखंड के पहले मुख्य मंत्री बाबू लाल मरांडी द्वारा डाल्टनगंज के प्रथम फेज वाटर सप्लाई के उद्घाटन के दौरान डाल्टनगंज का नाम हटाकर मेदिनीनगर किया गया. लेकिन शहर के रेलवे स्टेशन के नाम पर अभी भी पुराना नाम बरकरार है. को की केंद्र सरकार के द्वारा बदला जा सकता है. इसके लिए भी कई बार स्टेशन पर आंदोलन किया गया है. इसका इसका प्रबंधन मेदिनीनगर नगर निगम द्वारा हीं किया जाता है.

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