5 बीघा खेत में पांच तरह की सब्जियों से मालामाल हुआ किसान, सालाना हो रही 15 लाख की कमाई, पढ़ें कहानी

 नीरज कुमार/बेगूसराय: आधुनिकता की इस दौर में कृषि के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है. नित नए प्रयोग किसानों के लिए समृद्धि का द्वार भी खोलने का काम कर रहा है. बिहार के बेगूसराय में भी अब किसान तकनीक आधारित खेती करने लगे हैं. किसान उन्नत वैरायटी का बीज हासिल करने के लिए देश के किसी भी कोने तक पहुंच जा रहे हैं. बेगूसराय के किसानगुजरात से आलू तो ग्वालियर से खीरा सहित 5 प्रकार की सब्जियों की बीज मांगवाकर नगदी फसल के रुप में सब्जी की खेती कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.

पहले बेगूसराय जिला के किसान परंपरागत खेती में शामिल धान, गेहूं या मकई जैसे फसल का उत्पादन करते थे, लेकिन इसकी खेती में अच्छी कमाई नहीं दिखी तो कई किसान सब्जी की खेती में लग गए. किसान अशोक ने बताया कि एक दौर ऐसा भी था, जब खेती का पैसा खेती में हीं लग जाया करता था. लेकिन आज खेती का पैसा बैंक खाते में दिख रहा है. वर्तमान समय में 5 प्रकार की खेती कर रहे हैं.

 आलू और खीरा का उत्पादन
बेगूसराय जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड के भैरवार के वार्ड संख्या-1 के रहने वाले 46 वर्षीय किसान अशोक कुमार सिंह ने बताया कि 1995 से ही सिर्फ सब्जी की खेती कर रहे हैं. पटना आलू अनुसंधान केंद्र में जब आलू का बीज नहीं मिला तो ग्वालियर से आलू का बीज मंगाया जाता है. जबकि खीरा का बीज गुजरात से मंगाकर खेती किया. इस बीज की खासियत को लेकर किसान ने बताया कि अच्छे क्वालिटी का बीज मिला जिससे ऊपज ज्यादा हो रही है.

इतने का आता है खर्च
इसके अलावा डंडारी प्रखंड से डंडारी वैरायटी के परवल का बीज और स्थानीय बाजार से बीज लाकर कद्दू, बैगन की खेती करते हैं. वहीं इसकी खेती में सिर्फ कीटनाशक दवाई और केमिकल पर तकरीबन 2 लाख तक सालाना खर्च करना पड़ता है. हालांकि, पिछले दो वर्षों से मौसम का साथ नहीं मिलने के कारण सब्जी की खेती में थोड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा है.

7 मजदूरों को दिया रोजगार 
प्रगतिशील किसान अशोक कुमार सिंह के मुताबिक सब्जी की खेती में हर महीने 5 से 7 मजदूरों का काम भी उपलब्ध करा रहे हैं. उन्होंने बताया पांच प्रकार की सब्जी की खेती में तकरीबन सालाना 5 लाख तक खर्च आता है. जबकि कमाई का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया सालाना 12 लाख से 15 लाख के बीच कमाई हो जाती है. उन्होंने जिला प्रशासन से कृषि से संबंधित सरकार के द्वारा चलाए जा रहे ड्रिप इरिगेशन सिस्टम या फिर अन्य किसी से जुड़े अनुदान पर मिलने वाले उपकरण उपलब्ध कराने की मांग की है.

नहीं मिला सरकारी योजानाओं का लाभ
किसान ने बताया कि हमें ना तो सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल पाती है और ना ही कृषि कार्यालय जाने पर किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जहां केंद्र की सरकार साल 2024 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कह रही है, लेकिन सरकार के द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजना धरातल पर न पहुंचना किसान के आमदनी दोगुनी करने में बाधक बनता दिख रहा है.

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