4 फीट लंबी, 57 किलो वजनी, पीतल की इस किताब में 193 देशों के संविधान का अंश!

राहुल दवे/इंदौर: इंदौरी क्या कुछ नहीं कर सकते, चाहे देश में सफाई की बात हो या कोई अनोखा प्रयोग, वे नंबर वन हो ही जाते हैं. इसी कड़ी में इंदौर के एक निवासी ने अजब-गजब कारनामा कर दिखाया है. अब पेशे से वकील लोकेश मंगल ने ऐसी किताब तैयार करवाई है, जो पीतल की है और अपने आप में अद्भुत व अनोखी है.

4 फीट लंबी और 57 किलो वजनी इस किताब में 98 पन्ने हैं. इसमें 193 देशों के प्रतीक चिन्हों को सम्मिलित किया गया है. पुस्तक बनवाने वाले लोकेश मंगल ने बताया कि इस पुस्तक को अजर अमर दस्तावेज की चाह में धातु पर उकेरा गया, ताकि आने वाले हजारों वर्ष तक इसे सहेजा जा सके. वहीं, धर्मगुरुओं ने चर्चा के दौरान पीतल को सबसे शुभ बताया, जिसके चलते किताब पीतल पर बनाई गई.

सभी का मिला सहयोग, 1 रुपया लिया
लोकेश मंगल के मुताबिक, किताब के लिए रायशुमारी 1 वर्ष 9 महीने चली, समस्त राजनीतिक दल के राजनेताओं, श्रेष्ठ संविधान विशेषज्ञों, पत्रकारों, अधिवक्ताओं का सहयोग मिला. इतना ही नहीं, देश के 200 शहरों से धनसंचय भी किया गया. किताब हेतु प्रत्येक व्यक्ति से 1 रुपये (42 हजार रुपये) जीवन में एक बार के आधार पर एकत्रित किए गए. बताया कि पुस्तक द्वारा दुनिया के 193 देशों के संविधान को पीतल की इस 4 फीट की किताब में संजोने का प्रयास किया गया है, जिसमें महज चित्रों के माध्यम से संविधान की मूल भावना को दर्शाया गया है.

पुरस्कार के लिए नहीं किया आवेदन
लोकेश ने बताया कि किताब का मुख्य पृष्ठ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 132 वीं जयंती पर जारी किया गया. कहा कि इस किताब को लेकर कभी किसी भी पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया जाएगा. उनका कहना है कि 217 घंटों में लेजर के माध्यम से उकेर कर किताब तैयार की गई. इसकी पीएलटी फाइलिंग बनाने में 2 वर्ष 7 माह का समय लगा. पीतल के रोल से सामान्य कैंची से हाथों से पीतल के 97 पन्नों को काटा गया है. बहुत ही मेहनत के साथ यह ऐतिहासिक पुस्तक तैयार की गई है, जो अब हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है.

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