20 दिन में 13 यात्रियों ने गंवाई जान, मौत को दावत दे रही है उत्तराखंड की ये सड़क, चीन-नेपाल को करती है कनेक्ट

रिपोर्ट- विजय उप्रेती

पिथौरागढ़. भारत को चीन बॉर्डर से जोड़ने वाली लिपुलेख रोड का उद्घाटन भले ही 3 साल पहले हो गया हो लेकिन आज भी ये रोड दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में एक है. हालात ये हैं कि इस रोड में आए दिन गननचुंबी पहाड़ियों के दरकने से लगातार हादसे हो रहे हैं. यही कारण है कि बीते 20 दिनों में यहां 3 बड़े हादसे हो चुके हैं.

लिपुलेख रोड पर आए दिन विशालकाय पहाड़ियां दरक रही हैं. पहाड़ियों से आई आफत के चलते जहां ये रोड आए दिन बंद हो जाती हैं, वहीं यात्रियों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है. सुरक्षा के लिहाज से तो ये रोड अहम है ही साथ ही व्यास घाटी के 7 गांवों की ये लाइफ लाइन भी है. लिपुलेख बॉर्डर को जोड़ने वाली इस रोड को चालू हुए 3 साल हो गए हैं, बावजूद इसके यहां सफर करना मौत को मात देने से कम नहीं है.

बॉर्डर की अहम रोड की बर्बादी के लिए बीआरओ को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. आदि कैलास दर्शनों के लिए गए हरीश भट्ट का कहना है कि रोड में सफर करते हुए रूह कांप जाती है. रोड अगर सुरक्षित होगी तो पर्यटन बढ़ेगा. वहीं स्थानीय रवीना गुंजयाल की मानें तो लगातार हो रही हादसों के लिए बीआरओ द्वारा की गई ब्लास्टिंग है, जिस कारण पहाड़ कमजोर हो गए हैं और लगातार टूट रहे है. बीआरओ ने करोड़ों रूपये बहाकर 14 साल में इस रोड को बनाया है.

रोड कटिंग के दौरान 6 दर्जन के अधिक लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है. इसी महीने 8 तारीख को लमारी के पास जीप में पहाड़ी गिरने से 7 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी, जबकि 17 अक्टूबर को कालापानी के पास एक कार के पलटने से 2 लोग घायल हो हुए थे. मंगरवार को इस रोड में एक बार फिर मौत का तांडव दिखा है. लखनपुर के पास जीप के नदी में गिरने से 6 लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में 4 कर्नाटक के रहने वाले आदि कैलास यात्री थे. मंगलवार का हादसा इतना खतरनाक था कि 35 घंटों के बाद ही शवों को रेस्क्यू किया जा सका है.

आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेन्द्र महर का कहना है कि जिस जगह पर हादसा हुआ है, वो पहाड़ी काफी खतरनाक है, इसलिए रेस्क्यू में दिक्कत आई. इसी रोड जरिए चीन और नेपाल बॉर्डर पर मौजूद सेना, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान गुजरते हैं. यही नहीं आदि कैलाश और ओम पर्वत जाने वाले तीर्थ यात्री भी इसी रोड से गुजरते हैं, फिर भी बीआरओ इस रोड को सुरक्षित नहीं बना पा रहा है. नीचे ऊफनती काली नदी और ऊपर से दरकते पहाड़ों के बीच इस रोड का सफर सीधे मौत को चुनौती देने वाला है।

Tags: Pithoragarh news, Uttarakhand news

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