2 महीने तक खराब नहीं होते ये लाल पेड़े, आकार में भी बड़े, 60 साल से स्वाद बरकरार

शिवहरि दीक्षित/हरदोई. अगर मीठे में पेड़ा खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके ही लिए है. यूपी के हरदोई में एक 60 वर्ष पुरानी मिठाई की दुकान है. ग्रामीण परिवेश को दर्शाती इस दुकान पर बड़े पेड़े मिलते हैं और इस दुकान के संचालक का दावा है कि इनके बनाए पेड़े दो माह तक खराब नहीं हो सकते, इसलिए इन पेड़ों के शौकीन देश ही नहीं विदेशों में भी हैं.

हरदोई में बाबा रामसरन की 60 वर्ष पुरानी मिठाई की दुकान है. जहां पर बड़े पेड़े मिलते हैं. इसका रंग लाल होता है, हालांकि और भी मिठाइयां इनकी दुकान पर मिलती हैं. मगर सबसे खास इनके यहां का लाल पेड़ा है. बाबा रामसरन बताते हैं कि इस दुकान की शुरुआत उनके बाबा ने की थी और तब भी यहां के पेड़े प्रसिद्ध थे. आज भी रामसरन अपने बाबा द्वारा खोली गई दुकान को चला आ रहे हैं.

दो माह तक नहीं होते खराब
बाबा रामसरन का कहना है कि उनकी दुकान पर पेड़े बनाने के लिए बाहर से दूध मंगाकर खुद ही खोया तैयार किया जाता है. साथ ही पेड़े ज्यादा दिन तक चलें और स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए इसमें जायफर, जावित्री, इलायची और लौंग भी मिलाते हैं. इससे इसका स्वाद बाकी पेड़े से अलग तो होता ही है, यह दो माह तक खराब भी नहीं होता है.

देश ही नहीं विदेश में भी दीवाने
हरदोई के बाबा रामसरन की मिठाई की दुकान के पेड़े के हरदोई के अलावा अन्य जनपद, राज्यों के लोग भी दीवाने हैं. जो यहां के निवासी विदेशों में रह रहे हैं, वह भी जब यहां आते हैं तो इनके पेड़े अपने साथ ले जाते हैं या फिर अपने सगे संबंधियों से मंगवा लेते हैं.

इतनी है कीमत
हरदोई से लगभग 30 किलोमीटर दूर कस्बा पिहानी में 60 वर्ष पुरानी बाबा रामसरन की दुकान है. यह दुकान पूर्ण रूप से ग्रामीण परिवेश जैसी दिखती है, मगर पेड़े बहुत ही खास हैं. इन पेड़ों की डिजाइन बाकी पेड़ों से अलग है. साथ ही इसका कलर भी लाल है. क्योंकि वह खोए को कढ़ाई में तब तक चलाते रहते हैं, जब तक खोए का कलर लाल ना हो जाए. वहीं इन्होंने इसकी कीमत 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से रखी है.

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