अंजू प्रजापति/ रामपुर : भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए सोमवार का दिन विशेष होता है. जनपद रामपुर में मंदिरों की कमी नहीं है. यहां पर कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं और इन से जुड़ी गहरी मान्यताएं भी हैं. जिले के राठौडा गांव में एक मंदिर ऐसा है, जहां 800 वर्ष पूर्व पवित्र शिवलिंग के रूप में महादेव स्वयं प्रकट हुए थे. दीमकों की बॉमी से उत्पन्न होने के कारण मंदिर के शिवलिंग को श्री बामेश्वर महादेव कहा जाता है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां मुस्लिम लोग भी पूजा-अर्चना में शामिल रहते हैं.
रामपुर से तीस किलोमीटर दूरी पर रठौडा गांव में श्री बामेश्वर महादेव शिव मंदिर स्थित है. मंदिर परिसर में पूर्व दिशा की ओर विशाल शिव गंगा है. पंडित राजेंद्र शर्मा बताते हैं कि उनकी 14वीं पीढ़ी इस मंदिर में अपनी सेवा दे रही है. पंडित राजेंद्र शर्मा के मुताबिक, करीब 800 वर्ष पूर्व इस स्थान पर घना जंगल हुआ करता था. एक दिन एक किसान झाड़ियों को हटा कर वहां हल से खेत जोत रहा था. इस दौरान मिट्टी की बॉमी में किसान का हल लग गया और उस बॉमी से खून और दूध की धाराएं बहने लगी. ये देख किसान आश्चर्यचकित हुआ और वहां से डर कर भाग गया.
पहले 17वीं शताब्दी में यहां ग्वालियर के राजा का शासन हुआ करता था. ग्वालियर के राजा के सपने में भगवान भोलेनाथ ने आकर साक्षात दर्शन दिए. और राजा से कहा कि यहां मैं एक मिट्टी की बॉमी से स्वयं प्रकट हुआ हूं. इसके बाद उस राजा ने यहां भव्य मंदिर और मंदिर के ठीक सामने पूर्व दिशा में विशाल शिवगंगा का निर्माण कराया. तब से लेकर आज तक इस मंदिर को श्री बामेश्वर महादेव शिव मंदिर के नाम से पुकारा जाता है.
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
शिवरात्रि में यहां 15 दिनों तक भव्य मेले का आयोजन चलता है. इसमे हर वर्ष हजारों की संख्या में चमत्कारी शिवलिंग के दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां मुस्लिम लोग भी पूजा-अर्चना में शामिल रहते हैं. हर वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर जल चढ़ाते है. मुसलमान भक्तों की भी श्री बामेश्वर मंदिर से गहरी आस्था जुड़ी है. उनका ऐसा मानना है कि यहां दर्शन करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 11:32 IST