पिछले दिनों शहर की एक संस्था के पदाधिकारी ने कहा कि उनकी संस्था हमें सम्मानित करना चाहती है। बहुत दिनों से कहीं से कोई ट्राफीनुमा चीज़ हमें नहीं मिली थी फिर कहने वाले सज्जन हमारे मित्र भी थे। इसलिए इनकार न कर सके, सोचा, चलो यार इस बहाने अखबार में खबर और फोटो छपेगी, पत्नी को भी अच्छा लगेगा। कार्यक्रम में हम समय पर पहुंच गए। यह कार्यक्रम बिना मुख्य अतिथि के होना था। अभी ज़्यादा लोग नहीं आए थे। हमें लगा इन्होंने काफी लोग बुलाए होंगे जो आ रहे होंगे। लेकिन जब कार्यक्रम समापन की ओर बढ़ रहा था तब भी हाल में ज्यादा लोग नहीं थे। जिस कार्यक्रम में कोई वीआईपी मुख्यअतिथि होता है वह कार्यक्रम भले देर से शुरू हो, आयोजकों को उनकी लल्लो पच्चो करनी पड़े लेकिन लोग काफी आ जाते हैं।
अन्य प्रस्तुतियां संपन्न हुई तो सम्मान दिए जाने की बारी आई। सबसे पहले हमारा नाम पुकारा गया और हमने मंच पर जाकर मोमेंटो प्राप्त तो कर लिया लेकिन ज़्यादा अच्छा नहीं लगा। लगा, चाहे कुछ भी हो मगर, अगर मंत्रीजी सम्मानित करते तो कुछ और बात होती। घर आए तो पत्नी ने पूछा क्या मिला, हमने उन्हें मोमेंटो थमा दिया तो कहने लगी पिछली बार भी ऐसा ही मिला था, कोई गर्म शाल वगैरा मिल जाती तो ज़्यादा बेहतर होता। मुख्य अतिथि के रूप में मंत्रीजी को बुलाते। मुझे भी लगा कि पत्नी ठीक कह रही है। कोई भी सम्मान यूं ही लेना आनंददायक नहीं होता।
मंत्री या प्रसिद्ध व्यक्ति सम्मान दे तो बात ही कुछ और होती है। ऐसा होता है तो बंदा सम्मानित होने से पहले ही चर्चित हो उठता है। मीडिया फेसबुक अख़बारों में पहले से ख़बरें छपने लगती है। फ़ोटोज़ भी तो छपती हैं। सबको पता चल जाता है। जिस सम्मान समारोह में मंत्रीजी आ रहे होते हैं उस स्थान तक आ रही सड़क रातों रात ठीक हो जाती है। समारोह स्थल पर भीड़ जुटाने में परेशानी नहीं होती क्योंकि मंत्री के साथ काफी लोग चिपके रहते हैं। अनेक कार्यकर्ता, अफसर, छुटभैये नेता अपने चापलूसों और चेले चांटों को लेकर स्वयं आ जाते हैं। मंत्रीजी आते हैं तो पत्रकार स्वयं आ जाते हैं ख़बरें खुद छपने लगती हैं।
पत्नी बोली मंत्री जी ने जिसे सम्मानित करना हो वह नए कपडे ज़रूर खरीदेगा। उसकी पत्नी भी नई पोशाक खरीदेगी। समारोह में जाकर महान व्यक्ति के यशस्वी हाथों से मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र प्राप्त करना जीवन का महत्त्वपूर्ण क्षण होता है। शानदार हाथ से हाथ मिलाना, तालियों की गडगडाहट के बीच मंच से नीचे उतरना बार बार कहां होता है। समारोह के समापन पर विविध प्रकार का स्वादिष्ट नाश्ता या डिनर करना गणमान्य लोगों के साथ अंग्रेज़ी में भी बतियाना, सोचकर ही कितना सुखदायक लगता है।
पत्नी और हम इस बात पर सहमत हुए कि सम्मान वही जो मंत्रीजी के हाथों से मिले। मन में इच्छा फिर हिलोरें लेने लगी थी। अब हमें कोशिश करनी थी कि ऐसा जुगाडू व्यक्ति मिले जो मंत्रीजी के देशभक्त हाथों से हमें मिल सकने वाले सम्मान का प्रबंध कर सके।
– संतोष उत्सुक