Father Son Relationship Tips: अक्सर रिलेशनशिप को लेकर कहा जाता है कि बेटियां पिता की होती हैं और बेटे मां के होते हैं. एक समय आता है जब बेटा बड़ा हो जाता है और वह अपनी पसंद और अपने विचार व्यक्त करने लगता है. ऐसे में कई बार पिता और बेटे के बीच वैचारिक मतभेद होने लगता है, क्योंकि पुरानी पीढ़ी की सोच और मॉडर्न जमाने की सोच आपस में टकराती है. उनके तौर तरीकों में भी फर्क होता है, जिसकी वजह से अक्सर पिता और बेटे के रिश्ते में नोकझोंक होती रहती है. ऐसे में इससे कैसे बचा जा सकता है इस बारे में मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु ने बताया कि इस स्थिति में क्या करना चाहिए.
करण जौहर के सवाल पर दिया सतगुरु ने जवाब
हाल ही में एक शो के दौरान बॉलीवुड डायरेक्टर और प्रोड्यूसर करण जौहर ने सद्गुरु से पूछा कि एक उम्र के बाद बाप और बेटे के बीच तनाव की स्थिति क्यों पैदा होती है और उनके बीच दूरियों का कारण क्या है? इस बात पर सद्गुरु ने कहा कि यह बात बाप बेटे की नहीं, बल्कि एक ही घर में दो आदमियों के रहने की है. जब एक घर में दो आदमी रहते हैं, तो उनके बीच मतभेद होना लाजमी है. इस बात को स्वीकार किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं सतगुरु ने यह भी कहा कि दो आदमियों के बीच लड़ाई में मां घुन की तरह पिसती है, क्योंकि यह महिला एक की पत्नी और दूसरे की मां है. दो आदमियों के बीच यह सब होना नॉर्मल है.
यह भी पढ़ें
एक समय पिता होते हैं भगवान
सद्गुरु ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब लड़का 9-10 साल का होता है, तो उनके लिए उसके पिता किसी भगवान से कम नहीं होते है, क्योंकि वह अपने बच्चे की हर जरूरत पूरा करते हैं और उसका ध्यान रखते हैं. लेकिन जब वह बच्चा 15-16 साल का होता है, तब प्रॉब्लम शुरू होने लगती है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे अपनी सोच और लाइफस्टाइल अलग बनाने लगते हैं और दूसरों के विचार को स्वीकार करना उनके लिए मुश्किल होता है.
ऐसे करें सिचुएशन को हैंडल
जैसा कि सद्गुरु ने बताया कि जब बेटा बड़ा होने लगता है, तो घर में दो आदमियों के बीच मनमुटाव होने लगता है. ऐसे में इससे बचने के लिए आपसी अंडरस्टैंडिंग होना बहुत जरूरी है, दोनों को एक दूसरे की बात को समझना चाहिए और उस हिसाब से ही घर के फैसले लेने चाहिए.