शादी…और मैं? जस्टिस चंद्रचूड़ का प्रस्ताव सुनते ही चौंक गई थीं कल्पना, दिलचस्प है प्रेम कहानी

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पत्नी कल्पना चंद्रचूड़ पेशे से वकील हैं. लंबे समय तक ब्रिटिश काउंसिल के लिए काम करती रही हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ और कल्पना ने साल 2008 में शादी की थी. दोनों की प्रेम कहानी दिलचस्प है. हाल ही में The Week को दिये एक इंटरव्यू में जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने  रिलेशनशिप से लेकर शादी तक के सफर को विस्तार से बयां किया.

जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि जब मैंने कल्पना को प्रपोज किया था, तो वह सिंगल थीं और अपने दोस्तों में ऐसी थीं जिनकी हाल-फिलहाल में शादी होती नहीं दिख रही थी. क्योंकि वह अकेले ही बहुत खुश थीं. वह नौकरी पेशा थीं और दिल्ली में काम करती थीं, जबकि मैं मुंबई में सेटल था.

शादी…और मैं?
जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि हमारी मुलाकात संयोगवश हुई थी. और बाद में जब एक दूसरे के करीब आए तो एक दिन मैंने उनसे पूछा कि ‘क्या मुझसे शादी करोगी?’ उन्होंने जवाब दिया- शादी? मैं? मेरी बात सुनकर वह चौंक गई थीं, क्योंकि इससे पहले शादी के बारे में गंभीरता से सोचा नहीं था. 

रिलेशनशिप पर क्या कहते थे दोस्त?
चंद्रचूड़ कहते हैं कि बाद में कल्पना ने मुझे बताया कि उनके जिन दोस्तों को हमारे रिलेशनशिप के बारे में पता था वह कहा करते थे कि तुम दोनों की शादी होनी तय. तब कल्पना उन्हें नजरअंदाज कर दिया करती थीं और कहती थीं कि हम बस अच्छे दोस्त हैं. वह (चंद्रचूड़) अलग शहर में रहते हैं और मैं अलग. दोनों अपनी-अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

क्यों हिचक रही थीं पत्नी?
CJI कहते हैं, जब आप युवावस्था में शादी शादी करते हैं तो चीजें बहुत अच्छी दिखाई पड़ती हैं… सब कुछ अच्छा-अच्छा लगता है. लेकिन उम्र के एक पड़ाव के बाद जब शादी करते हैं तो आपको जिंदगी की तमाम सच्चाई पता होती है. तमाम पहलू से वाकिफ होते हैं. यही चीज थी जो उन्हें (कल्पना को) परेशान कर रही थी. मैं जज था और एक जज की जिंदगी बिल्कुल अलग, बंधी होती है. आप लोगों से बहुत ज्यादा मिल नहीं सकते हैं, ज्यादा सोशलाइज नहीं हो सकते.

कैसे बिताते हैं खाली समय?
जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि शादी के बाद एक चीज ऐसी है, जिसने हम दोनों को और करीब लाने में बहुत मदद की. वह है साथ टाइम स्पेंड करना. हम खूब घूमे. शायद ही भारत का कोई शहर जो, जहां हम साथ न गए हों. लदाख में ट्रैकिंग से लेकर सिक्किम तक. इसके अलावा जब भी वक्त मिलता है तो घर पर साथ समय बिताते हैं.

चंद्रचूड़ कहते हैं कि अगर कोई हमसे पूछे की पार्टी में जाना पसंद करेंगे या घर पर? तो मैं घर पर समय बिताना ज्यादा पसंद करूंगा. घर पर रहते हुए मैं किताब पढ़ रहा होता हूं या संगीत सुन रहा होता. इसी तरह कल्पना कोई डॉक्यूमेंट्री देख रही होती हैं. हमने पिछले 15 सालों में एक दूसरे को पर्याप्त स्पेस दिया है. एक दूसरे की जरूरतों को समझते और सम्मान करते हैं.

2015 में दो बेटियों को लिया था गोद
इसी इंटरव्यू में जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी दोनों बेटियों के बारे में भी बताते हैं. कहते हैं कि साल 2015 में जब मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस था, तब प्रियंका और माही हमारी जिंदगी में आईं. दोनों बच्चियां मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं. वहां स्पेशल बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं था. इलाहाबाद में मैंने दोनों की शिक्षा के लिए घर पर ही व्यवस्था की थी. फिर दिल्ली आए तो यहां ‘तमन्ना’ नाम का खूबसूरत स्कूल मिला.

वह कहते हैं कि दोनों बेटियां भले ही स्पेशल चाइल्ड हैं, लेकिन उनका दिमाग बहुत तेज है और शुरुआती पढ़ाई लिखाई के बाद अपनी मेहनत की बदौलत ‘संस्कृति स्कूल’ में दाखिला लिया. चंद्रचूड़ कहते हैं कि दोनों बेटियों ने मेरी जिंदगी को बदलने में अहम भूमिका निभाई है. बता दें कि इन बच्चियों को सीजेआई चंद्रचूड़ ने गोद लिया है.

CJI की दूसरी पत्नी हैं कल्पना
कल्पना दास, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की दूसरी पत्नी हैं. उनकी पहली पत्नी रश्मि का साल 2007 में कैंसर के चलते निधन हो गया था. पहली पत्नी से दो बेटे अभिनव और चिंतन हैं. दोनों ही वकील हैं.

Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Supreme court of india

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