Symptoms of Diabetic neuropathy: डायबिटीज में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. दरअसल, पैंक्रियाज से निकलने वाला इंसुलिन हार्मोन जब कम बनता है या नहीं बनता तो ग्लूकोज का अवशोषण नहीं हो पाता है. इस कारण यह ग्लूकोज खून में जमा होने लगता है. जब ग्लूकोज का अवशोषण नहीं होता है तब यह खून में जमा होने लगता है जो पूरे शरीर की नसों में दौड़ने लगता है. जाहिर है जब यह ज्यादा हो जाएगा तो नसें फटने का खतरा बढ़ जाएगा. हम जानते हैं कि डायबिटीज और पूरे विश्व के लिए चुनौती बन गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में 42.2 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. कुल डायबिटीज मरीजों में 17 प्रतिशत मरीज भारत से हैं.
भारत में 8 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित है. इसलिए भारत को डायबेटिक कैपिटल ऑफ वर्ल्ड कहा जाने लगा. मुश्किल यह है कि अधिकांश लोगों को पता ही नहीं कि उन्हें डायबिटीज है. इसलिए ब्लड शुगर की मात्रा अन्कंट्रोल होने का खतरा बढ़ जाता है. डायबिटीज मरीजों में नर्व डैमेज होने को डायबेटिक न्यूरोपैथी कहते हैं. मायो क्लिनिक के मुताबिक डायबेटिक मरीजों में से करीब 50 प्रतिशत को डायबेटिक न्यूरोपैथी से जूझना पड़ता है. इसलिए इसके लक्षण को जानना जरूरी है.
नसें डैमेज होने के ये हैं संकेत
मायो क्लिनिक के मुताबिक डायबेटिक न्यूरोपैथी चार तरह की होती है जिनमें कमोबेश एक ही तरह के लक्षण दिखते हैं. डायबेटिक न्यूरोपैथी होने पर सबसे पहले हाथ-पैर की नसें फूलने लगती है. इसका रंग भी काला पड़ सकता है. इस कारण बार-बार हाथ-पैर सुन्न होने लगता है. अगर यह ज्यादा दिनों तक होता है तो खून की छोटी-छोटी जो वाहिकाएं होती हैं उसकी दीवार धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती है और एक दिन जब इस पर प्रेशर बढ़ता है तो यह अचानक कुछ जगहों पर डैमेज या फटने लगती है. इससे खून की वाहिकाओं को शरीर के अन्य अंगों से संपर्क टूट जाता है. इस कारण वहां ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
के लक्षण सबसे पहले हाथ और पैर की नसों में देखने को मिलता है. इस कारण हाथ और पैर पहले से सुन्न होने लगता है. सबसे पहले हाथ में सुन्नापन आता है. हाई ब्लड शुगर के कारण खून की छोटी-छोटी नलिकाओं की दीवाल कमजोर होने लगती है. इसलिए इसके कहीं भी रिसने का डर रहता है. जिससे ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों का अंगों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
नसें डैमेज होने से पहले के संकेत
- 1. मांसपेशियों में कमजोरी, हाथ-पैर में सुन्नापन्न या दर्द, झुनझुनी या जलन महसूस होने लगता है.
- 2. कुछ लोगों में छूने पर अत्यधिक संवेदनशीलता, यहां तक कि कुछ छू बी जाए तो दर्द होता है.
- 3. पैरों में गंभीर समस्याएं, जैसे अल्सर, संक्रमण, फोड़े, छाले, हड्डी और जोड़ों में फ्रेक्चर.
- 4. ऑटोइम्यून न्यूरोपैथी में पेट संबंधी दिक्कतें होने लगती है. खाना निकलने में परेशानी होती है. फिजिकल
- रिलेशन में भी परेशानी हो सकती है.
- 5. आंखों में भी कमजोरी होने लगती है. ऑब्जेक्ट दो दिखाई देने लगता हैं.
- 6. कुछ व्यक्तियों में पैरालाइसिस भी हो सकता है.
- 7. बहुत अधिक कमजोरी होने लगती है.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 06:37 IST