माता सीता और प्रभु राम से सीखें रिश्ते निभाने के गुण, बना रहेगा प्यार और सम्मान

सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या: 22 जनवरी को प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान होंगे. प्रभु राम के विराजमान होने का उत्साह पूरे देश और दुनिया में देखने को मिल रहा है . हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता को आदर्श दंपति माना जाता है. वैसे तो भगवान राम और माता सीता का वैवाहिक जीवन संघर्षों भरा था, इसके बावजूद भी जब भी आदर्श पति-पत्नी के उदाहरण की बात आती है तो लोग श्रीराम और माता सीता का ही नाम लेते हैं. आज के जमाने के कपल्स इनके वैवाहिक जीवन से कुछ अहम सबक ले सकते हैं, जिन्हें अपना कर कोई भी पति-पत्नी अपने वैवाहिक जीवन को सफल बना सकते हैं.

अयोध्या के वरिष्ठ कथा वाचक जगतगुरु राम दिनेश आचार्य बताते हैं कि भगवान श्री राम माता सीता के द्वारा स्थापित आदर्शों का पालन करते हुए आज के समय में स्त्री और पुरुष को रहना चाहिए. जिस तरह माता सीता और प्रभु राम एक दूसरे में विश्वास करते थे कुछ ऐसा ही आज स्त्री और पुरुष को करना चाहिए. अगर ऐसा लोग करते हैं तो उनका वैवाहिक जीवन सही ढंग से चलता रहेगा.

हर परिस्थिति में देना चाहिए एक दूसरे का साथ
जगतगुरु राम दिनेश आचार्य ने कहा कि पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ सुख-दुख में हमेशा खड़ा होना चाहिए. जिस तरह प्रभु राम माता सीता एक दूसरे के साथ खड़े रहते थे. दरअसल, भगवान राम और माता सीता ने हर परिस्थिति से निपटने में एक दूसरे का साथ दिया है. प्रभु राम जब वन जाने लगे तो माता सीता ने भी उनके साथ जाने का प्रण किया और वनवास जाने का समर्थन भी किया. आज के समय में प्रत्येक स्त्री और पुरुष को राम और सीता जी के इस रिश्ते से भी सीख लेनी चाहिए.

पैसों को छोड़कर रिश्तों पर दें ध्यान
जगतगुरु राम दिनेश आचार्य बताते हैं कि माता सीता ने जब प्रभु राम से विवाह किया तो उन्होंने प्रभु राम का ना तो पद देखा और ना ही राजपाट देखा. इसके साथ ही जब प्रभु राम अपना राजपाट का त्याग कर वनवास जाने लगे तो माता सीता भी महलों का विलास छोड़कर अपने पति के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास पर चली गई. कुछ इसी तरह हर पति-पत्नी के बीच में पैसों को छोड़कर रिश्तो को पहले देखना चाहिए. इसके अलावा हर पति और पत्नी को सुरक्षा और इज्जत का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. जब माता सीता के चरित्र और पवित्रता पर सवाल उठे थे. तब भगवान राम ने उन पर विश्वास किया था. तब माता सीता ने अपने पति के मान-सम्मान के लिए अग्नि परीक्षा का सामना किया था.

(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता पर आधारित है न्यूज़ 18 किसी भी तत्व की पुष्टि नहीं करता)

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