भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी: मां जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी के कोट बाजार में स्थित सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर है, जिसकी प्रतिमा को श्री राम की नगरी आयोध्या से मंगवाई गई थी. 1860 में हनुमान जी की इस प्रतिमा को स्थापित किया गया था. दरअसल, अयोध्या के एक संत के स्वप्न में आकर हनुमानजी ने कहा कि अयोध्या के पोखर में निवास कर रहा हूं और मां जानकी के जन्मस्थली में मुझे स्थापित होना है.
तब हनुमान जी के स्वप्न में निर्देशानुसार संत ने सीतामढ़ी के पंडित बलदेव शर्मा गंगावत को बुलाकर पोखर से हनुमानजी की प्रतिमा को निकालकर सौंप दिया. इसके बाद पंडित बलदेव शर्मा गंगावत ने सीतामढ़ी आकर शहर के कोट बाजार महावीर स्थान में हनुमान जी को स्थापित किया. यहां खास बात यह है कि हनुमान जी को प्रतिदिन मां जानकी मंदिर में बनने वाले चरणामृत से भोग लगाया जाता है. इस मंदिर की महिमा अपरंपार है और सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.
ऐसे लगता है भोग
सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर कमिटि के सदस्य कौशल किशोर शर्मा ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार यह नियम है कि जो श्रद्धालु माता जानकी के दर्शन के लिए यहां आते हैं, उन्हें पहले हनुमान जी का दर्शन करना अनिवार्य है. जो श्रद्धालु ऐसा नहीं करते हैं उन्हें वांछित फल की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं पहले हनुमान जी का दर्शन करने के बाद माता जानकी के दरबार में जाते हैं.
ये है मान्यता
ऐसा करने पर श्रद्धालु को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि जैसे आयोध्या में हनुमानगढ़ी की मान्यता है उसी तरह सीतामढ़ी में सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान जी की मान्यता है. जबसे इस मंदिर की स्थापना हुई है, तब से ही हनुमान जी को भोग लगाने के लिए प्रतिदिन जानकी मंदिर से चरणामृत लाया जाता और उसी चरणामृत को प्रसाद में मिलाकर हनुमान जी को भोग लगाया जाता है.
माता की इच्छा से मंदिर की स्थापना
सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर कमिटि के सदस्य कौशल किशोर शर्मा ने बताया कि माता जानकी की हीं इच्छा से इस मंदिर की स्थापना हुई है. इसलिए माता जानकी मंदिर के चरणामृत से जो भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई वह अब भी निभाया जा रहा है. सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर आस्था का बड़ा केन्द्र है. लोगों का भी मानना है कि इस मंदिर में आने से हनुमान जी के साथ-साथ माता जानकी से भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. शहर के सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाके में मंदिर होने के बावजूद यहां पर एक अलग तरह की शांति और मन को सुकून मिलता है. वहीं श्रद्धालुओं ने बताया कि मंदिर परिसर में आते हीं सकारत्मक ऊर्जा का एहसास होने लगता है.
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FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 17:23 IST