सत्यम कुमार/भागलपुर. किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं है. भागलपुर के कई इलाके में जिंक व नाइट्रोजन की कमी हो रही है. खासकर जिले के नाथनगर, सबौर और जगदीशपुर प्रखंड की मिट्टी में काफी कमी देखने को मिली है. इसको लेकर जब मृदा जांच अधिकारी केशव कुमार गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यहां के किसान अपने खेतों को लेकर अधिक एक्टिव नहीं है. किसान पहले अपनी मिट्टी जांच नहीं कराते हैं. लेकिन हमलोग जब जांच करते हैं तो कई तत्व कम पाए जाते हैं. इसका मुख्य वजह है यहां के किसान फसल चक्र नहीं करते हैं. इससे काफी नुकसान होता है. लेकिन अगर किसान इस विधि को अपनाएं तो वो अपने खेतों की उर्वरा शक्ति लौटा सकते हैं.
फसल चक्र का अर्थ है कि एक खेत में अलग-अलग तरह की खेती नहीं करते हैं. जबकि जिस खेत में मक्का बोते हैं या गेंहू बोते है तो उसमें बीच मे एक साल दलहन जरूर बोयें. इससे मिट्टी के कई तत्व पूरे होते हैं. उन्होंने बताया कि दलहन फसल के जड़ में कई ऐसे तत्व होते हैं, जिससे अन्य फसल को भी फायदा मिलता है.
घास लगाने से होता है यह फायदा
मृदा जांच अधिकारी केशव कुमार गुप्ता ने बताया कि अगर मिट्टी क्षारीय हो जाती है तो इससे भी पोषक तत्व की कमी होती है. मिट्टी क्षारीय होने के पीछे की वजह बेतहासा फर्टिलाइजर व कीटनाशक का छिड़काव है. इसके छिड़काव से मिट्टी के कई गुण खत्म हो जाते हैं, इसलिए ये सीमित मात्रा में देनी चाहिए. उन्होंने इसका एक और अच्छा उपाय बताया कि आप बचे हुए समय में हरी घास अगर बोते हैं, तो उससे भी कई गुण मिट्टी में लौट जाते हैं. खास कर अगर कलाई की खेती कर व उसको खेत में ही जुताई कर मिला दिया जाए, तो काफी फायदे की चीज है. इससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ती है. जिंक व नाइट्रोजन की कमी से फसलों के उत्पादन पर असर पड़ता है. इसलिए इसकी पूर्ति होना अतिआवश्यक है.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 14:49 IST