कृष्ण कुमार/ नागौर. नागौर का टांकला गांव दो कारणो के लिए विश्व प्रसिद्ध है. टांकला गांव की हस्तनिर्मित दरिया तथा किशनदास जी महराज का मंदिर दोनों के लिए जाना जाता है. यहां पर वर्तमान समय में दो दरी उद्योग बचे हैं. यहां पर बनने वाली दरिया अपनी बनावट में मजबूती के लिए जानी जाती है. हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो खेती करने के साथ अपनी आय मे वृद्धि करने के लिए दरियों का निर्माण करते है. यह कार्य पिछले 30 वर्षों से कर रहे है.
एक समय टांकला गांव दरियों के लिए जाना जाता था. वर्तमान समय मे टांकला गांव में दो ही दरी उद्योग हैं. किसान तथा दरी निर्माण के कारीगर दुर्गाराम लिम्बा ने बताया कि मेरे पिताजी दरिया बनाने का काम करते थे और मुुुझे दरी बनाने की कला पिताजी ने सिखाई. दुर्गाराम ने बताया कि मेरा मुख्य काम खेती करना है जब समय मिलता है तो मैं दरी बनाने का कार्य करता हूँ ताकि मेरी आय में वृद्धि हो सके. दरी बनाने मे काफी समय व मेहनत लगती है. वर्तमान समय मे यहां पर कई प्रकार की दरिया बनाई जाती है. जिसमें पंजा दरी, ऊन की दरी, कॉटन की दरी और छोटी-छोटी आसन की दरिया का निर्माण किया जाता है.
यहां दरियों पर विभिन्न प्रकार पर चित्रकारी की जाती है. टांकला की दरिया अपनी बनावट और मजबूती के लिए जानी जाती है. यह दरिया एक विशेष कारण के लिए जानी जाती है जिसमें दरिया पर बनाई गई चित्रकारी जिसमें पशुओ में शेर, चीता, गाय, तथा हिरण व जिस ग्राहक की जिस चित्र की मांग होती है उसी अनुसार दरी का निर्माण किया जाता है. वहीं पक्षियो में मोर, तोता, कबूतर व गौरैया इत्यादि का चित्रण किया जाता है. इसकी वजह है कि यह दरियां हाथों से बनाई जाती हैं. इसके दोनों तरफ एक ही प्रकार की चित्रकारी होती है.
खास बात है कि इसको किसी मशीन से नहीं बनाया जा सकता. यह अपनी रंगाई व मजबूत धागों के लिए प्रसिद्ध है. टांकला के दरियो के कीमत की बात करे तो साईज के अनुसार कीमत ली जाती है. सबसे बड़ी दरी की कीमत 50000 हजार रुपये तक होती है. दुर्गप्रसाद ने बताया वे खेती के अलावा केवल दरिया बना कर सालाना 1,15,000 रुपए से अधिक आय प्राप्त कर लेते है. यदि आप दरी खरीदना चाहते है तो दुर्गाराम 9929679663 पर संपर्क कर सकते है.
.
Tags: Hindi news, Local18, Nagaur News, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 00:26 IST