बच्चा हो रहा है चिड़चिड़ा और करने लगा है बदतमीजी, तो डांटे नहीं बस करें ये काम, हर बात अच्छे से मानेगा, फॉलो करें ये पेरेंटिंग टिप्स

बच्चा हो रहा है चिड़चिड़ा और करने लगा है बदतमीजी, तो डांटे नहीं बस करें ये काम, हर बात अच्छे से मानेगा, फॉलो करें ये पेरेंटिंग टिप्स

Parenting Tips: जिद्दी बच्चों को कैसे समझाएं.

How to deal with a stubborn kid: हर पेरेंट चाहते हैं कि उनके बच्चे का बिहेवियर अच्छा रहे और इसकी जिम्मेदारी उनके ऊपर ही होती है. लेकिन कई बार बच्चे बहुत ज्यादा जिद्दी हो जाते हैं और वो बात नहीं सुनते हैं. वहीं उनकी शरारतों और बत्तमीजियों को अक्सर लोग उनका बचपना और मासूमियत समझकर इग्नोर कर देते हैं. लेकिन छोटे में बच्चों की इस आदत को इग्नोर करना बाद में चलकर परेशानी की वजह बन सकताहै. क्योंकि जैसे-जैसे वो बड़े होते हैं और ऐसी हरकतें और बद्तमीजी करते हैं तो आप उनको रोक नही पाते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि आप बच्चों को शुरू से ही दूसरों की रिसपेक्ट करना सिखाएं. अगर आपका बच्चा भी बहुत गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव का है तो आपको उनकी इस आदत को बदलने की जरूरत है. यहां हम बता रहे हैं कि आप बत्तमीज और जिद्दी (stubborn) होते बच्‍चों में किस तरह से सुधार(discipline) ला सकते हैं.

बदतमीज और जिद्दी बच्‍चों की आदतों में इस तरह लाएं सुधार (How to discipline your child)

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प्यार से समझाएं

कई बार पेरेंट्स बच्चे की जिद करने पर उसे डांटते और मारते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. ऐसे में बच्चा और जिद करने लग सकता है. बच्चे को प्यार से समझाएं. उनको डांटने से बचें और अच्छे से बात करें. ऐसा करने से वो आपकी बात सुनेगा और मान जाएगा.

बहस न हो

अगर आपका बच्चा किसी बात को लेकर जिद कर रहा है तो आपको उससे बहस या गुस्सा नहीं करना चाहिए. ऐसे में बच्चा बी बहसबाजी और बदतमीजी करने लगता है. इसके लिए आप खुद को शांत करें और बच्चे से आराम से बात कर के उसकी बात को सुने और बात करें. इससे आपका बच्चा आपकी बातें और भी ज्यादा ध्यान से सुनेगा.

दोस्तों पर ध्यान दें

बता दें कि आपका बच्चे किस के साथ रहता है और उसके दोस्त कौन हैं इन सब का असर भी आपके बच्चे के बिहेवियर पर पड़ता है. इसलिए ध्यान दें कि आपके बच्चे के दोस्त कौन हैं और उसका फ्रेंड सर्किल कैसा है. 

बात करें

अपने बच्चों के साथ बैठें, उनके साथ खेलें और उनसे बाते भी करें. ऐसा करने से वो आपको अपना दोस्त समझेगा और अपने मन की सारी बाते आपको बताएगा. कई बार ऐसा हो सकता बच्चे किसी बात से परेशान होते हैं और इसका असर उनके बिहेवियर पर पड़ता है. इसलिए बच्चे के मन को टटोलें और उसे आराम से समझाने की कोशिश करें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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