दवा या सर्जरी से नहीं….यहां दबाव से किया है गंभीर बीमारियों का फ्री में इलाज, जानिए कैसे?

रजनीश यादव /प्रयागराज: वर्तमान समय में स्वास्थ्य को लेकर हर आदमी बहुत सचेत हो गया है. इसके पीछे की मुख्य वजह है की चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ती महंगाई. बीमारी को ठीक करने के पीछे लोगों के काफी पैसे खत्म हो जाते हैं. फिर भी कभी-कभी ऐसा होता है कि वह बीमारी जिसकी तस्वीर बनी रहती है. इसका कोई फायदा नहीं होता. अगर आप भी अपनी किसी गंभीर बीमारी का इलाज करवाना चाहते हैं तो प्रयागराज में मिंटो रोड पर स्थित एक्युप्रेशर संस्थान जहां पर सभी का इलाज मुफ्त में होता है. खास बात यह है कि यहां पर इलाज का तरीका अन्य अस्पतालों का क्लिनिकों से काफी अलग है. यहां पर बीमारी के लिए मरीज को कोई भी दवा या इंजेक्शन नहीं दिया जाता.

प्रयागराज स्थित एक्युप्रेशर संस्थान शोध व प्रशिक्षण के साथ कई गंभीर बीमारियों का उपचार भी किया जाता है. जैसा किसके नाम से ही स्पष्ट है कि शरीर की किसी ऐसे बिंदु पर दबाव देकर उसे बीमारी का इलाज किया जाता है. जहां से उस बीमारी के तार बिंदु पर आकर जुड़ जाता है. संस्थान के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद अग्रवाल बताते हैं कि शरीर के ऊर्जा को संतुलित करके ही हम गंभीर बीमारियों को इलाज करते हैं. बताते हैं कि जब शरीर में कोई बीमारी होती है तो शरीर का ऊर्जा संतुलन बिगड़ जाता है. हम लोग उसे बीमारी से जुड़े पॉइंट को खोजते हैं और उसे पर दबाव के द्वारा ऊर्जा को संतुलित कर बीमारी को ठीक कर देते हैं. जिसके परिणाम काफी अच्छे मिले और आज इलाज की इस तरीके पर लोगों ने भरोसा जताना शुरू कर दिया. बताते हैं की एक्युप्रेशर उपचार को लेकर आयुष मंत्र हेल्थ मंत्रालय की ओर से संसद की पटल पर बात रखी गई और आज यह ट्रीटमेंट संसद में विचाराधीन है.

कैसे करते हैं ऊर्जा संतुलन
शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए पॉइंट पर मैग्नेट या मेथी के दाने को लगाकर टेप से चिपका देते हैं. यह बहुत आसान होता है. जिस पॉइंट पर मैग्नेट या मेथी को लगाया जाता है. उसको मरीज को दिन में समय-समय पैर दबाना होता है. एक बार वहां के चिकित्सक या प्रक्रिया करके भेज देते हैं बाकी मरीज स्वयं से ठीक होना शुरू हो जाता है.

क्या है आय का सोर्स
यह संस्थान लोगों का मुफ्त इलाज करती है. लेकिन इसके पैसे का सोर्स आफ इनकम इस संस्था के द्वारा छापी हुई किताबें होती हैं. के.के द्विवेदी बताते हैं कि हमारे यहां से लगभग 200 किताबें छापकर प्रकाशित हो चुकी हैं यह किताबें बेचकर ही संस्था का खर्च चलाया जाता है. बाकी इस चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों को पढ़ाया भी जाता है.

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