कहां से आता है ये जल,जिससे होता है महादेव का अभिषेक, जानें मान्यता

 शशिकांत ओझा/पलामू.कहते है आस्था का कोई रूप और ढंग नहीं होता है. यह एक भाव होता है.शिवरात्रि का त्योहार नजदीक आ रहा है.ऐसे में शिवभक्त भगवान भोलेनाथ को मनाने शिवालयों में जाते है. पलामू जिले में भी एक ऐसा शिवालय है, जिसकी आस्था मान्यता सदियों पुरानी है. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने से श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. इस मंदिर में आदि काल से एक जल श्रोत से अपने आप पानी निकलता रहता है. जिसका आज तक कोई पता नहीं लगा सका है.

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 175 किलोमीटर और पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 10 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड के जमुने गांव में भैसाखुर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां हर साल शिवरात्रि में मेले का आयोजन होता है. इस शिव मंदिर में अपने आप जल आते रहता है. इस मंदिर को पाताल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

जमीन की खुदाई के दौरान मिला था शिवलिंग
मंदिर के पुजारी कुशुमकांत पांडे ने कहा कि शिवलिंग पर अपने आप चट्टान के बीच से जल पहुंचता है. इस मंदिर के जीर्णोद्वार के बाद से जल का श्रोत कम हो गया है. लेकिन बरसात के मौसम में यह मंदिर जल से भरा रहता है. यहां से निकलता जल मंदिर के बगल में स्थित तालाब में जाता है. जहां से वो पानी मैला नदी में जाता है. इस जल का श्रोत के बारे में किसी को पता नहीं की ये आता कहां से है. वहीं यह शिवलिंग को कहीं से लाकर स्थापित नहीं किया गया है. ये शिवलिंग जमीन की खुदाई के दौरान निकला था. जिससे लोगों का आस्था जुड़ा हुआ है. भगवान भोलेनाथ के शिखर पर जैसे मां गंगा विराजमान है ठीक वैसे हीं चट्टानों के बीच से गंगा निकलकर शिवलिंग पर गिरता था.अब मंदिर के सुंदरीकरण के बाद से शिवलिंग ऊपर हो गया है. लेकिन फिर भी गंगा सालों भर निकलते रहती है.

6 एकड़ में फैला है मंदिर परिसर
उन्होंने बताया कि शिवरात्रि पर हर वर्ष दो दिवसीय भव्य मेले का आयोजन होता है. यहां शिवलिंग से हमेशा पानी निकलता रहता है. जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है. मंदिर परिसर करीब 6 एकड़ में फैला हुआ है. जहां मां भगवती का दरबार, भगवान शिव का दरबार, हनुमान जी का दरबार के साथ पाताल मंदिर और बड़ा तालाब है. हर गुरुवार को स्थानीय महिलाओं द्वारा शिवचर्चा का आयोजन होता है. वहीं, मैदान में बुधवार और शनिवार को बाजार भी लगता है. इस बार यहां 1 मार्च से श्रीराम चरित मानस नवाह्न पारायण पाठ महायज्ञ का 43वां अधिवेशन होने जा रहा है.जो की 9 मार्च तक चलेगा.

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