करवा चौथ के आफ्टर इफेक्ट्स (व्यंग्य)

‘करवा चौथ उत्सव’ के सही तरीके से सम्पन्न होने, निबटने या निबटाने के परिणाम क्या होते हैं या हो सकते हैं यह गहन अध्ययन के लिए एक संजीदा विषय है। इस विषय पर करवाचौथ से पहले विचार कर लिया जाए तो परिणाम बहुत बेहतर हो सकते हैं।  

जिनका करवा चौथ सफल और सुफल रहा उनके जीवन और रसोई में सुबह, शाम और रात अच्छे समय की बहार लगातार है। बात उनकी करनी ज़रूरी है जिनको पता ही नहीं चला कि करवा चौथ के असली आफ्टर इफेक्ट्स क्या रहे। उन्हें ताज़ा करवा चौथ, तेज़ अर्थ व्यवस्था को धीमी मानने की तरह कन्फ्यूज़ कर रहा होगा और कोई उपाय नहीं सूझ रहा होगा। आजकल मोबाइल फोन की चाकरी के कारण पैदा हुई समय की कमी ने वैसे भी व्यक्तिगत बातचीत संपादित कर दी है।  

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार करवा चौथ का त्यौहार महिला विरोधी है क्यूंकि उस दिन ईमानदारी से व्रत रखने वाली ‘यौवनाएं’ एक ही दिन में शारीरिक स्तर पर निढाल हो जाती हैं । वैसे रोज़ भी स्वस्थ रहने के गणित में वे ठोस पदार्थ नहीं खा सकती। लगता है व्रत के माध्यम से पति को लम्बी उम्र मिलने का उपक्रम हो या न हो, दूसरे आफ्टर इफेक्ट्स ज़रूर होने लगते हैं। ज़िंदगी की हर लड़ाई जीते, संजीदा, अनुभवियों का व्यवहारिक सुझाव है कि जिन पतियों को बीपी, शुगर या अन्य गलत बीमारियों की दवाई नियमित लेने की आदत है वे लेते रहें, करवा चौथ के व्रत पर भरोसे न रहें। वह बात दीगर है कि जिनके सांप्रदायिक जीवन में करवा चौथ का व्रत मान्य नहीं है उन्हें भी इस दिन की परम्परागत और बाजारी चमक दमक आकर्षित करने लगी है।

कुछ नए पति अपनी पत्नी का साथ देने के लिए यह व्रत करते हैं, क्या एक दूसरे की लम्बी उम्र के लिए या ….? व्रत से अगले दिन ही किसी न किसी बात पर पंगा होने पर, बढ़ने पर वैवाहिक जीवन लडखडाते हुए, फिर अगले करवा चौथ की दहलीज़ तक पहुंच जाता है और पति से ‘मार’ खाती या पति को ‘मार’ खिलाती पत्नी फिर इस व्रत के अच्छे इफेक्ट्स के लिए उसी ‘नाकारा’ आदमी के लिए व्रत करती है। देखा जाए तो यमराजजी कहीं ऐसे मानते हैं? 

करवा चौथ के आफ्टर इफेक्ट्स जानना आसान नहीं है।

– संतोष उत्सुक

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